
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का नस्लभेद का शिकार होने का भी आरोप
BBC
यूक्रेन में छिड़ी लड़ाई के बाद सैकड़ों छात्रों को वहां से निकाल कर भारत लाया गया है. लेकिन अभी भी कई छात्र वहां फंसे हैं. उनको अपनी जान की फ़िक्र है और अब दावा किया जा रहा है कि एक दूसरी समस्या भी हो रही है.
पूर्वी यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों के लिए हालात मुश्किल होते जा रहे हैं. एटीएम से कैश नहीं निकल पा रहा है और स्थानीय ग्रोसरी स्टोर तक में उन्हें नस्लभेद का सामना करना पड़ रहा है.
पूर्वी शहर सूमी में रह रहे भारतीय छात्रों का कहना है कि उन्होंने दिन के समय छतों पर निशानेबाज़ तैनात देखे हैं और रात भर भारी बमबारी होती रहती है.
छात्रों का कहना है कि उनके बंकरों के ऊपर से टैंकों के गुज़रने की आवाज़ आती है.
सूमी स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में चौथे वर्ष के छात्र मोहम्मद महताब रज़ा ने बीबीसी को बताया, "हमारे पास अब पैसे ख़त्म हो रहे हैं. एटीएम में भी कैश नहीं है. अगर हमें यहां से निकलने का मौका मिल पाया तो यहां से दूर पश्चिमी यूक्रेन की तरफ़ जाना होगा. हम पैसों के बिना कहीं कैसे पहुंच सकते हैं?"
महताब जब एक एटीएम गए तो वहां एक महिला ने उन्हें बाहर लगा नोटिस दिखाते हुए समझाया कि यहां अब सिर्फ़ पैसे जमा किए जा सकते हैं, कैश निकाला नहीं जा सकता है.
