
'मैं तो 100 घंटे काम करता हूं, लेकिन...' सप्ताह में 90 घंटे काम के बहस में शामिल हुए अब ये कारोबारी
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शेनॉय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में एक कारोबारी के रूप में काम करने के अपने अनुभव को साझा किया. उन्होंने कहा कि वे अक्सर सप्ताह में 100 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, लेकिन असली काम अक्सर दिन के 4-5 घंटों के दौरान ही पूरा हो जाता है.
दिग्गज अरबपति नारायण मूर्ति के सप्ताह में 70 घंटे काम और अब लार्सन एंड टूब्रो (L&T) के चेयरमैं द्वारा सप्ताह में 90 घंटे काम करने के बयान ने सोशल मीडिया पर एक बहस छेड़ दी है. 90 घंटे सप्ताह में काम करने के बयान के बाद एलएंडटी के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन ट्रोल भी हो रहे हैं. लोगों का ये मानना है कि अगर 90 घंटे सप्ताह में काम करेंगे, तो फिर घर या अन्य कामों के लिए वक्त ही कहां बचेगा? इस चर्चा में कई दिग्गजों ने अपनी बात रखी है. इसी बीच, कैपिटलमाइंड के संस्थापक और सीईओ दीपक शेनॉय ने प्रोडक्टविटी और वर्क लाइफ बैलेंस पर अपनी बात शेयर की है.
शेनॉय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में एक कारोबारी के रूप में काम करने के अपने अनुभव को साझा किया. उन्होंने कहा कि वे अक्सर सप्ताह में 100 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, लेकिन असली काम अक्सर दिन के 4-5 घंटों के दौरान ही पूरा हो जाता है. उनकी पोस्ट से यह संकेत मिलता है कि यह काम किए गए घंटों की संख्या के बारे में नहीं है, बल्कि उन घंटों के दौरान तीव्रता और फोकस के बारे में है.
शेनॉय ने काम के घंटों को लागू करने की पारंपरिक धारणा को भी चुनौती दी. उन्होंने कहा कि प्रेरित व्यक्ति सख्त समय सीमाओं की आवश्यकता के बिना स्वाभाविक रूप से कड़ी मेहनत करेंगे.
क्या लिखा अपनी पोस्ट में? शेनॉय ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा है, 'मैंने अपने पूरे कार्यकाल में शायद सप्ताह में 100 घंटे काम किया है, लेकिन उसमें से अधिकांश काम मैंने एक कारोबारी के रूप में की. आपको काम के घंटे लागू करने की जरूरत नहीं है, जो लोग प्रेरित हैं वे खुशी से काम करेंगे. किसी भी मामले में ज्यादातर वास्तविक काम दिन में 4-5 घंटे में होता है, लेकिन आपको नहीं पता कि यह कब होता है.'
उन्होंने आगे कहा, 'मुझे अभी भी बैठकों को काम कहना मुश्किल लगता है, लेकिन इसमें उस काम से ज्यादा ऊर्जा लगती है जिसे मैं काम कहता हूं. कुछ हद तक यह काम x घंटे का तर्क मेरे लिए समझ से परे है. जब मैं खेलता हूं, तो मैं जमकर खेलता हूं. जब मैं काम करता हूं, तो मैं जमकर काम करता हूं.'
'संडे का नाम बदलकर 'सन-ड्यूटी' क्यों न कर दिया जाए' कुछ उद्योग जगत के लीडर्स ने प्रति सप्ताह 80-90 घंटे काम करने के विचार का समर्थन किया, वहीं कुछ ने 90 घंटे के कार्य सप्ताह की अवधारणा पर चिंता जताई. आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने एक्स प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में कहा कि सप्ताह में 90 घंटे? संडे का नाम बदलकर 'सन-ड्यूटी' क्यों न कर दिया जाए और 'छुट्टी का दिन' को एक मिथकीय अवधारणा क्यों न बना दिया जाए? मैं कड़ी मेहनत और समझदारी से काम करने में विश्वास करता हूं, लेकिन जीवन को एक सतत कार्यालय शिफ्ट में बदल देना? यह सफलता नहीं, बल्कि बर्नआउट का नुस्खा है.

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