
'मुइज्जू सरकार जितनी जल्दी हो सके माफी मांगें', भारत से राजनयिक विवाद पर बोले मालदीव के विपक्षी सांसद
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मालदीव की विपक्षी एमडीपी पार्टी के सांसद मीकैल अहमद नसीम इस प्रस्ताव में पीएम मोदी पर टिप्पणी करने वाले तीनों मंत्रियों को पद से हटाने की भी मांग की है. साथ ही इस पूरी घटना को लेकर मुइज्जू सरकार औपचारिक तौर पर माफी मांगें. इस पूरे मामले पर मीकैल से बातचीत का ब्योरा यहां हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू सरकार के मंत्रियों की आपत्तिजनक टिप्पणी पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. मालदीव की मुख्य विपक्षी पार्टी ने सरकार को चारों ओर से घेर लिया है. विपक्षी एमडीपी पार्टी के सांसद मीकैल अहमद नसीम ने इस पूरे घटनाक्रम पर विदेश मंत्री से जवाब मांगने के लिए प्रस्ताव पेश किया.
इस प्रस्ताव में पीएम मोदी पर टिप्पणी करने वाले तीनों मंत्रियों को पद से हटाने की भी मांग की है. साथ ही इस पूरी घटना को लेकर मुइज्जू सरकार औपचारिक तौर पर माफी मांगें. इस पूरे मामले पर मीकैल से बातचीत का ब्योरा यहां हैं.
आपने संसद में जो प्रस्ताव पेश किया है. उसके जरिए सरकार से आपकी क्या मांग है?
मैंने स्पीकर से अनुरोध किया है कि वे विदेश मंत्री को संसद में तलब करें, जहां हम उनसे पूछ सकें कि इस पूरे मामले पर सरकार ने अभी तक औपचारिक माफी क्यों नहीं मांगी है. दूसरा, अभी तक उन डिप्टी मंत्रियों को बर्खास्त क्यों नहीं किया गया है, जो इस पूरे मामले में शामिल थे. हम संसद में विदेश मंत्री से ये सवाल पूछेंगे. मैंने साथ ही उन तीनों मंत्रियों को भी संसद की विदेश मामलों की समिति के समक्ष बुलाने का अनुरोध किया है. मुझे लगता है कि दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि सरकार की ओर से इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है. हम, मालदीव के लोग एक अधिक स्पष्ट जवाब चाहते हैं कि आखिर सरकार इस मामले को सुलझाने के लिए क्या करेगी.
पीएम मोदी पर टिप्पणी करने के लिए मालदीव के तीनों मंत्रियों को सस्पेंड किया गया है, लेकिन उन्हें टर्मिनेट नहीं किया गया. ऐसे में विपक्ष यही सवाल उठा रहा है कि क्या मंत्रियों का टर्मिनेशन होगा. आपको क्या लगता है?
हम बहुत निराश हैं कि सरकार भारत के साथ हमारे सदियों पुराने संबंधों को तवज्जो देने के बजाए इन मंत्रियों के साथ अपनी घनिष्ठता को महत्व दे रही है. मुझे लगता है कि इन मंत्रियों की मौजूदा सरकार के साथ जो भी साझेदारी है, वह अन्य संबंधों की तुलना में भारी पड़ी है. एक राष्ट्र होने के नाते दुनियाभर में अच्छा अंतर्राष्ट्रीय रुख अख्तियार करने और राजनयिक संबंध बनाए रखने के लिए हमें इन कदमों को उठाना बहुत जरूरी है.

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