
मायावती को बीजेपी की B-टीम कहलाने की परवाह क्यों नहीं? योगी की तारीफ के मायने समझिए
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लखनऊ में बीएसपी की महारैली में पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करके उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है. आखिर मायावती को यह कदम क्यों उठाना पड़ा?
लखनऊ के कांशीराम स्मारक स्थल पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की महारैली में आज कुछ ऐसा हुआ जो कोई सोच नहीं सकता था. आज तक ऐसी रैलियों में विपक्ष का मूल निशाना वर्तमान सरकार पर होता आया है पर यहां इसका उलटा ही दिखा. बसपा प्रमुख मायावती ने कांशीराम की 19वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देते हुए इस रैली में योगी आदित्यनाथ सरकार की सराहना की. साथ ही प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, हम मौजूदा सरकार (योगी सरकार) के आभारी हैं, क्योंकि उन्होंने हमारे बनवाए स्मारक स्थलों के रखरखाव के लिए टिकट से मिली राशि का सही उपयोग किया. मायावती का कहना था कि भाजपा सरकार ने पैसा दबाया नहीं, सपा जैसी नहीं है है यह पार्टी.
साथ ही, सपा पर आरोप लगाया कि वे सत्ता में रहते PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) भूल जाते हैं, लेकिन विपक्ष में आते ही याद आ जाता है. मायावती ने योगी सरकार की तारीफ करके विपक्ष को बोलने का मौका दे दिया. जाहिर है कि उनपर बीजेपी की बी टीम बनने का आरोप लगेगा. पर मायावती भी राजनीति की मझी हुईं खिलाड़ी हैं. राजनीतिक शतरंज की गोटियों को कब ,कहां किस तरह इस्तेमाल करना है वो भली भांति जानती हैं. आखिर यूं ही थोड़ी न उन्हें तीन बार यूपी का चीफ मिनिस्टर बनने का मौका मिला है. योगी की यह तारीफ यूं ही नहीं थी, बल्कि एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा लगती है. आइए इसके मायने समझते हैं.
वो कह रही हैं कि दलित अपने दोस्त और दुश्मन पहचान लें
महारैली में मायावती ने दलित समुदाय को एक स्पष्ट संदेश दिया कि अपने दोस्त और दुश्मन को पहचान कर लो. यह बयान केवल भावनात्मक अपील नहीं, बल्कि एक रणनीतिक चाल है, जिसका मकसद दलित वोटबैंक को एकजुट करना और समाजवादी पार्टी (सपा) के बढ़ते प्रभाव को रोकना है.
मायावती ने कहा कि सपा ने सत्ता में रहते स्मारकों की उपेक्षा की और कासगंज जिले का नाम कांशीराम नगर से बदल दिया. यह बयान दलितों को यह समझाने की कोशिश था कि सपा उनकी अस्मिता का सम्मान नहीं करती, जबकि बीजेपी (योगी सरकार) ने कम से कम प्रतीकों का ध्यान रखा. मायावती का यह कथन, सपा सत्ता में PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) भूल जाती है, लेकिन विपक्ष में याद आता है,. सपा को उन्होंने दलित विरोधी और दोगला तक कहा.
मायावती का यह संदेश 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले दलित वोटबैंक को सपा के PDA फॉर्मूले से बचाने की रणनीति है. 2022 में बसपा का वोट शेयर 12.9% और 2024 लोकसभा में 6% तक गिर गया. सपा का दलित-मुस्लिम गठजोड़ बसपा के लिए खतरा बन रहा है. मायावती ने दलितों को दुश्मन (सपा) और दोस्त (बीएसपी या बीजेपी) का अंतर समझाने की कोशिश की. योगी की तारीफ से वह बीजेपी को दलितों के लिए स्वीकार्य दिखा रही हैं, जिससे सपा का विपक्षी कद कमजोर हो. मायावती ने CBI केस को साजिश बताकर और राष्ट्रीय मुद्दों पर बोलकर दलित अस्मिता को मजबूत किया. उनका मकसद दलितों को यह विश्वास दिलाना है कि बसपा ही उनकी सच्ची हितैषी है.

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