
महाराष्ट्र: मुआवजा कम मिलने पर किसानों का अनोखा प्रदर्शन, अपर तहसील ऑफिस के सामने फेंके नोट
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महाराष्ट्र के हिंगोली में बाढ़ प्रभावित किसानों ने मुआवजे की राशि कम मिलने पर तहसील कार्यालय के सामने पैसे फेंककर विरोध किया. किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा घोषित प्रति हेक्टेयर 18,500 रुपये मुआवजा पर्याप्त नहीं है और उन्हें प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये मिलना चाहिए. किसान नेताओं ने इसे अन्याय करार दिया.
महाराष्ट्र में अगस्त और सितंबर के महीने में हुई भारी बारिश और बाढ़ से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ. इसे देखते हुए सरकार ने कुल 31,628 करोड़ रुपये की मदद का ऐलान किया था, ताकि किसानों के बैंक खातों में राहत राशि भेजी जा सके. लेकिन हिंगोली के गोरेगांव के किसानों ने मुआवजे की राशि को लेकर नाराजगी जताई है, किसानों और क्रांतिकारी किसान संगठन के कार्यकर्ताओं ने मुआवजे के पैसे अपर तहसील कार्यालय के सामने फेंककर विरोध प्रदर्शन किया. उनका कहना था कि सरकार से मिल रही मदद बहुत कम है.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुष्क भूमि की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 18,500 रुपये, मौसमी बागवानी के लिए 27,000 रुपये और बागवानी के लिए 32,500 रुपये मुआवजे की घोषणा की थी. वहीं, जिन किसानों ने फसलों का बीमा कराया था, उन्हें औसतन 17,000 रुपये देने की बात कही गई थी.
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार को किसानों को प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये मुआवजा देना चाहिए, जबकि सरकार केवल 18,500 रुपये दे रही है. इसी कमी को लेकर किसानों ने अनोखा विरोध प्रदर्शन किया.
क्रांतिकारी किसान संगठन के जिलाध्यक्ष नामदेव पतंगे ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि बाढ़ प्रभावित हर इलाके के किसानों को मदद दी जाएगी, लेकिन उनके तहसील में अभी तक अकाल घोषित नहीं किया गया है.
किसान नेता गजानन कावरखे ने बताया कि मराठवाड़ा में हुई बारिश से सोयाबीन, कपास और अन्य फसलों को भारी नुकसान हुआ है. खेतों की जमीन बर्बाद हो गई. सरकार ने प्रति हेक्टेयर 8500 रुपये देने की घोषणा की थी, लेकिन किसानों को 3-4 हजार रुपये ही मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार हमारे जख्मों पर नमक छिड़क रही है और मुआवजा कम देने से हमें यह मदद स्वीकार नहीं है. किसानों का कहना है कि सरकार से मिली मदद वापस करके विरोध जताना उनका अधिकार है.

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