महाराष्ट्र उपचुनाव: उद्धव गुट की उम्मीदवार के चुनाव लड़ने पर सस्पेंस, नहीं मंजूर हुआ इस्तीफा
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महाराष्ट्र की अंधेरी सीट पर उपचुनाव होने हैं. ऐसे में उद्धव ठाकरे गुट की ओर से रुतुजा लटके को उम्मीदवार बनाया गया है. लेकिन ठाकरे गुट ने BMC पर आरोप लगाया कि उन्होंने सरकार के दवाब में आकर एक रुतुजा का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है. बता दें कि रुतुजा BMC में कर्मचारी थीं और चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया. लेकिन उनका इस्तीफा अब तक स्वीकार नहीं हुआ है, जिससे कि वो नामांकन नहीं कर पा रही हैं.
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना धड़े ने मुंबई नगर निकाय पर आरोप लगाया है कि शिंदे सरकार के दबाव में निकाय अंधेरी उपचुनाव के उम्मीदवार के इस्तीफे में देरी कर रहा है. उद्धव खेमे की उम्मीदवार रुतुजा लटके बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) में क्लर्क हैं. ऐसे में उद्धव ठाकरे गुट के सदस्य अनिल परब ने आरोप लगाया कि बीएमसी रुतुजा को एनओसी देने में देरी कर रही है क्योंकि वे राज्य सरकार के दबाव में हैं. नियमों के मुताबिक कोई सरकारी कर्मचारी चुनाव नहीं लड़ सकता है और रुतुजा अंधेरी सीट से उपचुनाव लड़ना चाहती हैं.
ठाकरे गुट के नेता ने BMC पर लगाए गंभीर आरोप
बुधवार को अनिल परब ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि बीएमसी ने रुतुजा के इस्तीफे का जवाब नहीं दिया है. ऐसी स्थिति में वो चुनाव नहीं लड़ सकतीं हैं और नामांकन दाखिल करने की समय सीमा भी नजदीक है. देश में कुल 7 सीटों पर 3 नवंबर को विधानसभा उपचुनाव होने हैं. अनिल परब ने कहा कि रुतुजा ने 2 सितंबर को सशर्त इस्तीफा दे दिया, लेकिन जब वह एक महीने के बाद अपना एनओसी लेने गई, तो उन्हें बताया गया कि उनका इस्तीफा उचित प्रारूप में नहीं है, इसलिए उन्होंने 3 अक्टूबर को इस्तीफा दे दिया.
'सरकार बना रही BMC पर दवाब' बता दें कि रुतुजा शिवसेना के पूर्व विधायक रमेश लटके की विधवा हैं, जिनका इस साल की शुरुआत में निधन हो गया था. इसके बाद उनके निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव कराया गया. परब ने कहा कि रुतुजा लटके को शिंदे समूह द्वारा एक मंत्री के पद की पेशकश की जा रही है और शिंदे समूह उन्हें लुभाने की कोशिश कर रहा है. इसलिए, बीएमसी पर उसे एनओसी नहीं देने का दबाव डाला जा रहा है. उनके खिलाफ कोई कर्ज या अनुशासनात्मक कार्रवाई लंबित नहीं है. हालांकि, उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया. मैं तीन बार आयुक्त से मिला. लेकिन उनके पास कोई जवाब नहीं था. यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार की ओर से नगर आयुक्त पर दबाव है.
बस फाइलों को इधर-उधर कर रहे हैं अधिकारी
परब भी इस बात से सहमत थे कि रुतुजा का प्रारंभिक इस्तीफा सशर्त था, जिसका मतलब था कि चुनाव के बाद उनके भाग्य का फैसला किया जाएगा. बीएमसी ने इस प्रारूप को खारिज कर दिया. परब ने कहा, 'लटके सी श्रेणी में आते हैं. इसलिए मामले का फैसला संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी द्वारा किया जा सकता है. मैंने इस्तीफे की मंजूरी के बारे में बीएमसी अधिकारियों से बात की थी, लेकिन फाइलें इस टेबल से उस टेबल पर जा रही हैं.'
चुनाव आयोग के मुताबिक, इस लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम और वीवीपैट के मेमोरी वेरिफिकेशन के लिए प्रति मशीन 40 हजार रुपए और उस पर 18 फीसदी जीएसटी एडवांस जमा करना पड़ता है. आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों को टीम सभी के सामने डाटा वेरिफाई करती है. अगर शिकायत सही मिली यानी ईवीएम डेटा और पर्चियों के बीच अनियमितता यानी गड़बड़ पाई गई तो कार्रवाई होगी.
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