
'महाराज' सौरव गांगुली की क्रिकेट में एंट्री की कहानी - फ़ुटबॉल के प्रेम से टीम इंडिया में आने तक का सफ़र
AajTak
सौरव गांगुली का वनवास लगभग 4 साल तक चला. 1995-96 के बेहतरीन डोमेस्टिक सीज़न के बाद सौरव को दोबारा टीम इंडिया में बुलाया गया. इस बार इंग्लैंड दौरे के लिए. एक बार फिर उनके सेलेक्शन पर कई सवाल खड़े हुए. इस बार कहा जा रहा था कि क्रिकेट बोर्ड के सेक्रेटरी होने के नाते जगमोहन डालमिया ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करके सौरव को टीम में घुसाया है.
सौरव गांगुली के पिता चंडीदास गांगुली एक अच्छे क्लब क्रिकेटर थे और इस खेल को लेकर बहुत जुनूनी थे. इसलिए घर पर हमेशा क्रिकेट की बातें होती रहती थीं. सौरव के पिता के तीन भाई थे. इसलिए घर में इतने सारे लोग होते थे कि गार्डन में टीम बनाकर क्रिकेट खेलने लगते थे. घर के सभी 6 भाई क्रिकेट खेलते थे. ज़्यादातर लोग लेफ़्ट हैंड से बैटिंग करते थे. उनकी देखादेखी सौरव ने भी 'उल्टे हाथ' से बल्लेबाज़ी शुरू कर दी. हालांकि बाकी सभी काम वो दाएं हाथ से ही करते थे.
सभी भाइयों में स्नेहाशीष गांगुली सबसे बेहतरीन प्लेयर था. सौरव से पांच साल सीनियर स्नेहाशीष ने बंगाल के लिए 6 फ़र्स्ट क्लास सेंचुरी मारीं. वहीं सौरव गांगुली सेंट ज़ेवियर कोलकाता कॉलेज में थे और क्रिकेट से कहीं ज़्यादा फ़ुटबॉल को तरजीह देते थे. लेकिन 13 साल की उम्र में सौरव को ज़बरदस्ती समर क्रिकेट कैम्प में भेज दिया गया. यहां उनकी इस खेल में थोड़ी रुचि जगी. लेकिन जब उन्हें बंगाल बनाम उड़ीसा के एक फ़्रेंडली अंडर-15 मैच में ईडेन गार्डन में खेलने का मौका मिला तो ये उनके जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. असल में सब कुछ इत्तेफ़ाकन हुआ. बंगाल की टीम में एक प्लेयर की कमी थी और इसी वजह से सौरव को टीम में जगह मिली. उन्होंने मैच में सेंचुरी मारी और उनके जीवन में फ़ुटबॉल की जगह क्रिकेट ने ले ली.
सौरव के ताऊ जी ने अपने लड़के स्नेहाशीष के लिये देबू मितरा को कोच के तौर पर रखा हुआ था. अब मितरा को दो लड़के कोच करने को मिल गए. घर में एक जिम बनवाया गया और घर के ही पास 2 कंक्रीट की पिचें ढलवाई गईं जहां दोनों भाई प्रैक्टिस किया करते थे. स्नेहाशीष बंगाल की रणजी टीम में जगह बना रहा था और दूसरी तरफ सौरव जूनियर क्रिकेट में नाम बना रहा था. जूनियर ग्रुप में राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर और अनिल कुंबले नाम के लड़के भी खेल रहे थे. गांगुली 1972 में पैदा हुए, तेंदुलकर 1973 में.
ये दोनों पहली बार 1987 में इंदौर में नेशनल कैम्प में एक साथ आए. एक साल बाद राजस्थान के पूर्व क्रिकेटर कैलाश गट्टानी द्वारा आयोजित एक प्राइवेट क्रिकेट टूर पर दोनों एक साथ इंग्लैंड गए. गांगुली इसके बारे में बताते हैं, “सचिन, राहुल, अनिल और मेरे बीच दोस्ती बहुत ही शुरुआत में शुरू हो गई थी और हम जैसे-जैसे इंटरनेशनल क्रिकेट खेलते गए, हमारी दोस्ती गाढ़ी होती गई.”
उस टूर पर तेंदुलकर और गांगुली ने पहली बार किसी मैच में ओपनिंग की थी. ससेक्स की जूनियर टीम बहुत तगड़ी थी. उन्होंने 270 रन बनाए थे और भारतीय टीम को 30 ओवर में उसका पीछा करना था. सचिन और गांगुली ने ओपनिंग करने के लिए अपने हाथ उठाए. वो गए और ससेक्स की बॉलिंग की धज्जियां उड़ा दीं.
लेकिन तेंडुलकर ने खेल में बहुत तेज़ी से कदम बढ़ाए. गांगुली जूनियर लेवल में खुद को साबित करने की कोशिश में लगे हुए थे और तेंडुलकर 16 साल में टेस्ट डेब्यू कर रहे थे. अगले साल, 1990 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अंडर-19 टीम के लिए गांगुली को चुना गया. पाकिस्तान की साइड में वक़ार यूनिस भी आये हुए थे. उनकी एक गेंद भारतीय खिलाड़ी के मुंह पर लगी और वो रिटायर्ड हर्ट हो गया. गांगुली आये और उन्होंने सेंचुरी मारी.

Matthew Hayden nude bet saved by Joe Root: ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच ब्रिस्बेन के गाबा में इंग्लैंड के दिग्गज जो रूट ने शतक जड़ा. इस शतक के बाद अब मैथ्यू हेडन चर्चा में आ गए हैं, जिन्होंने कहा था कि अगर रूट एशेज सीरीज 2025-26 में एक भी शतक नहीं जड़ते हैं तो वो MCG (मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में) न्यूड होकर दौड़ेंगे. लेकिन अब हेडन राहत की सांस ले रहे हैं, क्योंकि...

विराट कोहली ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रायपुर में अपनी 53वीं वनडे शतकीय पारी खेली, लेकिन टीम को जीत नहीं दिला सके. उनके इस प्रदर्शन पर पूर्व भारतीय बल्लेबाज मोहम्मद कैफ ने X पर लिखा, 'Without Kohli ODI cricket is nothing.. pure vintage!', जिसे बाद में उन्होंने बदल दिया- 'Without Kohli cricket is nothing..'.

रायपुर वनडे में भारत ने कोहली और गायकवाड़ के शानदार शतकों की बदौलत 358 रन बनाए, लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने 359 का पीछा ऐसे किया जैसे यह कोई बड़ा लक्ष्य था ही नहीं. भारतीय गेंदबाजी पूरे मैच में बेजान दिखी- न रफ्तार, न धार, न कोई ऐसा स्पेल जो मैच पलटता. फील्डिंग भी साथ नहीं दे पाई... कैच छूटे, मौके बिखरे और दबाव बनाने का हर प्रयास नाकाम रहा. बुमराह, सिराज और शमी की कमी साफ झलकी.

IND vs SA: टॉस गंवाना, खराब फील्डिंग... रायपुर वनडे में कहां चूक गई टीम इंडिया? ये रहे हार के 5 कारण
भारतीय टीम का प्रदर्शन रायपुर वनडे में उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा. भारतीय टीम की बल्लेबाजी कुछ हद तक सही रही, लेकिन गेंदबाजी और फील्डिंग का स्तर औसत दिखा. भारतीय टीम के लिए इस मैच में विराट कोहली और ऋतुराज गायकवाड़ ने शतकीय पारियां खेली थीं, जो काम ना आईं.

भारत और साउथ अफ्रीका के बीच 9 दिसंबर से कटक में 5 मैचों की टी20 सीरीज की शुरुआत हो रही है. इसी सीरीज के लिए भारतीय टीम में 14 सदस्यीय मेंबर्स की घोषणा हुई. जिसमें रिंकू सिंह और नीतीश रेड्डी का नाम नदारद रहा. ऋषभ पंत का नाम भी टीम में नहीं रहा. हार्दिक पंड्या की वापसी हुई. शुभमन गिल उप-कप्तान होंगे. आइए देखते हैं भारत के इस स्क्वॉड का कॉम्बिनेशन कैसा है.

Cricketer Mohit Sharma Retires: टी20 स्पेशलिस्ट मोहित शर्मा ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है. 37 वर्षीय मोहित शर्मा ने 3 दिसंबर को रिटायरमेंट का ऐलान किया. दिल्ली कैपिटल्स और चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेलने वाले इस पूर्व गेंदबाज ने टी20 क्रिकेट में डेथ ओवरों के विशेषज्ञ के रूप में खास पहचान बनाई थी.







