मल्टीविटामिन, एंटीडिप्रेशन की दवा, सूखे मेवे और कुरकुरे... 9 दिन से उत्तरकाशी के सुरंग में फंसे मजदूर क्या क्या खा रहे?
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उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था. इसके चलते इसमें काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए. इन्हें निकालने के लिए तमाम एजेंसियां रेस्क्यू अभियान में जुटी हैं.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग ढहने से फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का 9वां दिन है. रेस्क्यू अभियान का जिम्मा 5 एजेंसियों के पास है. इन एजेंसियों ने श्रमिकों को निकालने के लिए 5 प्लान बनाए हैं. उधर, केंद्र सरकार ने सभी एजेंसियों से अब तक उनके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी है. मजदूरों तक लगातार खाने पीने की चीजें पहुंचाई जा रही हैं. इन मजदूरों को मल्टीविटामिन, अवसादरोधी दवाओं के साथ साथ सूखे मेवे और कुरकुरे भेजे जा रहे हैं. ताकि ये मजदूर टनल में सुरक्षित बने रहें. मजदूरों को ये सब एक चार इंच के पाइप के द्वारा भेजा जा रहा है. इसके अलावा टनल में बिजली चालू है, ऐसे में यह गनीमत है कि सुरंग के जहां मजदूर फंसे हैं, वहां रोशनी है. इसके अलावा एक पाइपलाइन भी है, इससे मजदूरों को पानी भी मिल पा रहा है.
दरअसल, उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘ऑल वेदर सड़क' (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है. ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही यह सुरंग 4.5 किलोमीटर लंबी है. 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. इससे मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. इन्हें निकलने के लिए 9 दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है. लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली.
रेस्क्यू अभियान में जुटी 5 एजेंसियां
सड़क, परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने बताया कि पहले दिन से ही मजदूरों तक मल्टीविटामिन, अवसादरोधी दवाएं और सूखे मेवे भेजे जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि सुरंग के अंदर दो किमी हिस्से में पानी और बिजली है. इससे पहले केंद्र सरकार ने शनिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की थी, जिसमें श्रमिकों को बचाने के लिए पांच विकल्पों पर विभिन्न एजेंसियों के साथ चर्चा की गई. एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड), ओएनजीसी (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम), एसजेवीएनएल (सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड), टीएचडीसी और आरवीएनएल को इस रेस्क्यू ऑपरेशन की जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा बीआरओ और भारतीय सेना की निर्माण शाखा भी बचाव अभियान में मदद कर रही है.
इंटरनेशनल टनलिंग अंडरग्राउंड स्पेस के अध्यक्ष प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स सिल्क्यारा सुरंग पहुंचे. उन्होंने सुरंग के मुख्य द्वार पर बने एक मंदिर में पूजा-अर्चना भी की. अर्नोल्ड डिक्स ने बताया, 'कल से बहुत सारा काम किया जा चुका है. यह बहुत अहम है कि हम उन्हें(श्रमिकों) बचाएं. हम उन लोगों को बाहर निकालने जा रहे हैं. अभी तक बहुत बढ़िया काम हो रहा है. हमारी पूरी टीम यहां है और हम इसका समाधान ढूंढेंगे और उन्हें बाहर निकालेंगे.
पीएम मोदी ने की सीएम से बात
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