
मरीज ने दवा के संग निगल लिया नुकीला रैपर, भीतरी परत पर बने घाव, इलाज न मिलता तो फट सकती थी आहार नली
AajTak
अक्सर आपने बच्चों के खिलौना निगलने या सिक्का आहार नली में चले जाने की खबरें देखी या सुनी होंगी, लेकिन 57 साल के एक पुरुष मरीज ने अनजाने में दवा को उसके रैपर सहित निगल लिया, जो उनकी आहार नली के निचले हिस्से में जाकर फंस गया था.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक मरीज ने अनजाने में दवा के साथ रैपर भी निगल लिया. करीब एक सेंटीमीटर के रैपर आहार नली में जाकर फंस गया और इस वजह से खाने पीने में मरीज को बेहद तकलीफ होने लगी. हालत बिगड़ने पर मरीज भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (BMHRC) पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने एंडोस्कोपी के जरिए रैपर बाहर निकाल दिया.
दरअसल, 57 वर्षीय एक मरीज ने करीब एक माह पहले अनजाने में दवा को उसके रैपर सहित निगल लिया था, जो उनकी आहार नली (Esophagus) के निचले हिस्से में जाकर फंस गया था. इसके कारण मरीज को भोजन और पानी निगलने में गंभीर कठिनाई हो रही थी.
बीएमएचआरसी पहुंचने पर डॉक्टरों ने मरीज की एंडोस्कोपी की सलाह दी. जांच के दौरान पता चला कि आहार नली के निचले हिस्से में करीब 1 सेंटीमीटर का दवा का रैपर फंसा हुआ है. गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विशाल पाटिल और उनकी टीम ने एंडोस्कोपी के माध्यम से सावधानीपूर्वक रेपर को बाहर निकाला.
डॉ. पाटिल ने बताया कि दवा के रैपर का किनारा नुकीला होने के कारण आहार नली की भीतरी परत में कई स्थानों पर घाव हो गया था. अगर इसे कुछ और दिन नहीं निकाला जाता, तो आहार नली फटने की आशंका थी. इससे मरीज की जान को खतरा हो सकता था.
डॉ. ने आगे बताया कि बच्चों के सिक्का या खिलौना निगल लेने और वयस्कों के दांत या हड्डी निगलने जैसे मामले तो कभी-कभी आते हैं, लेकिन दवा का पूरा रैपर निगल जाने का यह मामला अत्यंत दुर्लभ है और पहली बार सामने आया है. वर्तमान में मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा है.
इनका कहना BMHRC की प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि यह एक अत्यंत दुर्लभ और चिकित्सकीय दृष्टि से चुनौतीपूर्ण मामला था. मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती थी, लेकिन हमारे डॉक्टरों की तत्परता और कुशलता से यह जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की गई.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.

देश की किफायत विमानन कंपनी इंडिगो का ऑपरेशनल संकट जारी है. इंडिगो को पायलट्स के लिए आए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को लागू करने में भारी दिक्कत आ रही है. इस बीच आज इंडिगो की 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो गई है, जिस पर कंपनी के सीईओ का पहला बयान सामने आया है. इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने इंडिगो ऑपरेशनल संकट पर पहली बार बयान देते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से विमानन कंपनी के कामकाज में दिक्कतें आ रही हैं. कंपनी का कामकाज पांच दिसंबर को सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. आज 100 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हुई हैं.

संसद के शीतकालीन सत्र में 8 और 9 दिसंबर 2025 को राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर दोनों सदनों में विशेष चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री इस चर्चा को संबोधित करेंगे. चर्चा का उद्देश्य वंदे मातरम् के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान प्रासंगिकता को उजागर करना है.

भारत-रूस बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निर्धारित किया है. राष्ट्रपति पुतिन के साथ चर्चा में यह स्पष्ट हुआ कि व्यापार लक्ष्य समय से पहले पूरा किया जाएगा. कई क्षेत्रों जैसे लॉजिस्टिक्स, कनेक्टिविटी, मरीन प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा, और टेक्सटाइल में सहयोग को आगे बढ़ाया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.







