
ममता के दांव से राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी खेमे में फूट? कांग्रेस से अलग राह पर
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राष्ट्रपति चुनाव के ऐलान के साथ सत्तापक्ष और विपक्ष की गोलबंदी शुरू हो गई है. कांग्रेस ने विपक्षी दलों की ओर से साझा उम्मीदवार उतारने का मोर्चा संभाल लिया है तो टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने 15 जून को विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक बुलाकर बड़ा सियासी दांव चल दिया है. इस तरह से विपक्षी एकता से पहले ही सियासी शह-मात का खेल शुरू हो गया है.
राष्ट्रपति चुनाव का औपचारिक ऐलान हो चुका है. सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक सियासी बिसात बिछाने में जुट गए हैं. बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ साझा उम्मीदवार उतारने पर सहमति से पहले ही विपक्षी दल दो खेमों में बंट गया है. राष्ट्रपति चुनाव पर विपक्षी दलों को साथ लाने की पहल कांग्रेस के द्वारा शुरू करने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी भी सक्रिय हो गई हैं और उन्होंने विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है.
बता दें कि बीजेपी विरोधी सभी दल एक साथ आ जाते हैं तो 2014 के बाद ये पहला चुनाव होगा, जिसमें विपक्ष बीजेपी को टक्कर देने की स्थिति में होगा. राष्ट्रपति चुनाव के कार्यक्रमों का ऐलान होने के फौरन बाद से ही सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने सियासी गोलबंदी के साथ उम्मीदवार तय करने की मशक्कत शुरू कर दी है. ऐसे में विपक्षी दल साझा उम्मीदवार को लेकर मंथन कर रहे हैं, लेकिन ममता बनर्जी और कांग्रेस आमने-सामने आ गई है.
ममता बनर्जी ने बुलाई विपक्षी दलों की बैठक
ममता बनर्जी ने 15 जून को राष्ट्रपति चुनाव के मामले को लेकर 22 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक बुलाकर कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है. ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों की बैठक दिल्ली में बुलाई है, जिसमें कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी सहित तमाम दलों के नेताओं को निमंत्रण भेजा है. इसके अलावा टीएमसी सुप्रीमो ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल, केरल के सीएम और वाम नेता पिनराई विजयन, ओडिशा के सीएम और बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक और केसीआर समेट 22 नेताओं को बुलाया है.
सोनिया गांधी ने खुद ममता बनर्जी, शरद पवार, एमके स्टालिन, उद्धव ठाकरे, हेमंत सोरेन से लेकर विपक्षी दल के कई प्रमुख नेताओं को फोन कर राष्ट्रपति पद के लिए साझा उम्मीदवार की पहल शुरू कर दी थी. वहीं, खराब सेहत के चलते सोनिया ने राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्षी नेताओं से चर्चा की जिम्मेदारी सौंप रखी है. इस दिशा में खड़गे ने भी विपक्षी नेताओं से वार्ता की पहल शुरू कर दी, लेकिन इसी बीच ममता बनर्जी ने अचानक विपक्षी मुख्यमंत्रियों समेत 22 नेताओं को पत्र लिखकर बैठक बुलाने का ऐलान कर दिया.
टीएमसी के इस दांव को राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी सियासत को मजबूत करने की दिशा में देखा जा रहा है. ऐसे में कांग्रेस जाहिर तौर पर विपक्षी राजनीति की डोर ममता बनर्जी के हाथों में देने के लिए तैयार नहीं. इसीलिए उनकी बैठक में उसके सहयोगी दलों के मुख्यमंत्री खुद शरीक न हों इस कोशिश में जुट गई है. ऐसे में महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे से लेकर तमिलनाडु के सीएम स्टालिन और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने 15 जून की ममता की बैठक में शामिल होने के लिए अभी तक संकेत नहीं दिए हैं.

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