
भारत की मेहमाननवाजी में तालिबान के विदेश मंत्री, मुनीर और ट्रंप की क्यों बढ़ी टेंशन?
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सात अक्टूबर को मॉस्को में 'मॉस्को फॉर्मेट कंसल्टेशंस' की बैठक हुई थी, जिसमें भारत, अफगानिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के प्रतिनिधि शामिल थे.
तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी एक हफ्ते के भारत दौरे पर हैं. मुत्तकी का भारत दौरा दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस दौरे से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सैन्य प्रमुख आसिम मुनीर घबराए हुए हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टेंशन बढ़ी हुई है.
अमीर खान मुत्तकी विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात करेंगे. साथ ही ताजमल और देवबंद के दारुल उलूम मदरसे का भी दौरा करेंगे. लेकिन जानना ये जरूरी है कि तालिबान के विदेश मंत्री के भारत दौरे से आसिम मुनीर और डोनाल्ड ट्रंप टेंशन में क्यों हैं?
तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान पर कब्जा किया था. तालिबानियों ने ना सिर्फ अफगान सरकार को उखाड़ फेंका था बल्कि अमेरिकी सैनिकों से भी अफगानिस्तान को खाली करवा लिया था. उस समय ऐसा लगा था कि अफगानिस्तान के दरवाजे भारत के लिए बंद हो गए हैं. भारत को अपना काबुल दूतावास और अफगानिस्तान के दूसरे शहरों में मिशन बंद करना पड़ा था. लेकिन ये सारी आशंकाएं गलत साबित हुईं और दोनों देशों के बीच रिश्ते एक बार फिर मजबूती की तरफ बढ़ रहे हैं.
तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी सीधे रूस की यात्रा से भारत आए हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस योजना का विरोध किया है, जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान से बगराम एयरबेस वापस लेने की बात कही थी. इस मुद्दे पर तालिबान को पाकिस्तान, चीन, रूस और भारत ने सपोर्ट किया है.
तालिबान के सपोर्ट में एक साथ 9 देश सीधे सीधे डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ खड़े हो जाते हैं. वो भी उस वक्त जब डोनाल्ड ट्रंप बार बार एक ही रट लगाए हुए हैं, कि उन्हें अफगानिस्तान का बगराम एयरबेस वापस चाहिए. ट्रंप ने 18 सितंबर को भी ब्रिटिश पीएम किएर स्टार्मर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि हमने बगराम तालिबान को मुफ्त में दे दिया, अब हम इसे वापस लेंगे.

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