
बिहार से जाकर यूक्रेन में बसे राकेश शंकर की कहानी
BBC
बिहार के राकेश शंकर और उनका परिवार रूस के हमले के बाद यूक्रेन में क्या कर रहा है. राकेश अपने बच्चों को कैसे जंग से बचाने की कोशिश कर रहे हैं.
"यहां हर घंटे पर साइरन बजता है तो हम बंकर में चले जाते हैं या बच्चों को लेकर घर के किसी कोने में चला जाता हूं. मैं उन्हें अपने शरीर से ऐसे कवर कर लेता हूं कि अगर हमला हो और मुझे कुछ हो भी जाए तो मेरे बच्चे सुरक्षित रहें".ये शब्द हैं राकेश शंकर के जो मूलतः भारत के बिहार राज्य के सहरसा ज़िले के रहने वाले हैं. वो रूसी भाषा सीखने के लिए साल 2015 में यूक्रेन गए थे.
एक साल की पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाक़ात यूक्रेन में रहने वाली अक्साना से हुई. दोनों के बीच दोस्ती हुई और फिर वो दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई. उन्होंने कोर्ट मैरिज की और अब उनके दो बच्चे हैं.
राकेश यूक्रेन में अनुवादक का काम करते हैं और रूसी, जापानी, फ़्रेंच समेत कई अन्य भाषाओं के जानकार हैं.
यूक्रेन पर रूस के हमले को कई दिन हो गए हैं और कई शहरों में भीषण लड़ाई जारी है. देश के उत्तर, पूर्व और दक्षिण में जंग छिड़ी है और दक्षिणी शहर ख़ेरसोन के मेयर का कहना है कि शहर पर अब रूस के सैनिकों का नियंत्रण है.
