बिहार के सीतामढ़ी को लेकर नीतीश के प्लान पर सियासी विवाद के क्या हैं मायने?
AajTak
नीतीश कुमार को साफ दिख रहा है कि बीजेपी राम मंदिर के उद्धाटन को लेकर अक्रामक राजनीति कर रही है. अब बिहार सरकार के इस फैसले ने बीजेपी को असहज कर दिया है. बीजेपी नेताओं के बयान से साफ लगता है कि नीतीश कुमार का ये तीर सीधे निशाने पर लगा है. ध्यान रहे कि रामायण सर्किट पर केंद्र की धार्मिक स्थलों की 15 सूची में सीतामढ़ी शामिल है.
बिहार में माता सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी को लेकर राज्य सरकार गंभीर नहीं दिख रही है. बीते 33 सालों से बिहार में नीतीश कुमार और लालू यादव का राज है. लेकिन दोनों नेताओं ने अब तक माता जानकी की जन्मस्थली को लेकर कोई काम नहीं किया है. लेकिन लोकसभा चुनाव आते ही मुख्यमंत्री को माता जानकी की याद आने लगी है.
केंद्र सरकार की ओर से बार-बार प्रस्ताव मांगने के बाद भी मंदिर के विकास के लिए राज्य सरकार की ओर से प्रस्ताव नहीं भेजा गया. जब भव्य राम मंदिर बन सकता है तो माता सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी में विशाल मंदिर का निर्माण क्यों नहीं हो सकता? यह बयान नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा का है. उनका यह बयान नीतीश कुमार के मां जानकी की जन्मस्थली पुनौरा धाम में 72.47 करोड़ रुपए की योजना का शिलान्यास करने के बाद आया था.
दूसरी ओर नीतीश कुमार के करीबी और बिहार विधानपरिषद में सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुनौरा धाम में योजनाओं के शिलान्यास के बाद बड़ी बात कही थी. उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज मां जानकी मंदिर की नींव रखी, इसके साथ ही राजनीति का दूसरा अध्याय भी शुरू हो गया. जहां एक तरफ भाजपा राम मंदिर को लेकर अपनी सियासत मजबूत करेगी, तो नीतीश कुमार मां सीता के मंदिर के निर्माण का पूरा श्रेय लेने की कोशिश करेंगे. हालांकि इससे पहले भारत सरकार ने अयोध्या और सीतामढ़ी को जोड़ने के लिए रामायण सर्किट की व्यवस्था की है. बता दें कि राम जहां-जहां गए हैं, उस रूट को जोड़कर रामायण सर्किट बनाया जा रहा है.
मंडल के साथ कमंडल वाली सियासत!
इन दोनों बयानों के आइने में बिहार में शुरू हो चुकी मंडल के साथ कमंडल वाली सियासत को समझना होगा. कारण ये है कि हाल में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत सर्वे कराया. उस हिसाब से आरक्षण का दायरा भी बढ़ा दिया. इसे जानकार मंडल की राजनीति करार दे रहे हैं. वहीं दूसरी ओर माता सीता के मंदिर के पुनर्विकास का बीड़ा उठाकर मुख्यमंत्री ने ये स्पष्ट कर दिया कि वे कमंडल की सियासत करने से भी पीछे हटने वाले नहीं हैं.
नीतीश कुमार कई फ्रंट पर एक साथ बीजेपी से अकेले लड़ रहे हैं. हाल में विधानसभा चुनावों के रिजल्ट से पता चला कि कांग्रेस अब क्षेत्रीय दलों पर दबाव बनाने की स्थिति में नहीं है. नीतीश कुमार अकेले सियासी तीर चला रहे हैं. लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही सीता जन्मस्थली को लेकर शुरू हुई राजनीतिक बयानबाजी पूरी तरह कमंडल की सियासत वाली धारा में बहने लगी है.
जम्मू के रियासी जिला अस्पताल में आतंकी हमले के बाल बच्चे भर्ती हैं. इन मासूम बच्चों को देखकर किसी का भी कलेजा फट सकता है. आतंकवादियों ने जो बर्बरता की है, उसके प्रमाण आप देख सकते हैं. श्रद्धालुओं ने जब आतंकवादी हमले की कहानी सुनाई, तो दिल दहल गया. आप उन आतंकवादियों की बर्बरता का अंदाजा नहीं लगा सकते.
महाराष्ट्र के ठाणे में ठगों ने यूपी पुलिस का अधिकारी बनकर एक कारोबारी को करीब 20 लाख रुपये का चूना लगा दिया. ठगों ने कारोबारी को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फंसाने की धमकी दी थी और गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसों की मांग की थी. पैसे देने के बाद जब कारोबारी ने लखनऊ में फोन कर यूपी पुलिस थाने में जानकारी ली तो उसे पता चला कि उसके खिलाफ कोई केस ही नहीं है.
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना भी मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से नाराज हो गई है. पार्टी के चीफ व्हिप श्रीरंग बारणे का कहना है कि उनकी पार्टी ने सात सीटें जीती हैं और बावजूद इसके उन्हें कोई कैबिनेट मंत्रालय नहीं दिया गया. उनका कहना है कि एनडीए के अन्य घटक दलों को कम सीट मिलने पर भी कैबिनेट में जगह मिली है.