
बांग्लादेश में पूजा मंडपों पर हमला: हिन्दुओं में विश्वास का कितना संकट पैदा कर रहा है?
BBC
हमले की शुरुआत दुर्गा पूजा के दौरान 13 अक्टूबर को यानी अष्टमी के दिन कोमिल्ला शहर से हुई. वहां एक पूजा मंडप से क़ुरान मिलने के बाद देश के विभिन्न ज़िलों में पूजा मंडपों और मंदिरों पर हमले हुए. इन हमलों का हिंदू समुदाय पर क्या असर हुआ है.
ढाका में एक निजी विश्वविद्यालय में काम करती हैं मालविका मजूमदार. उनका अपना घर फेनी में और ससुराल नोआखाली ज़िले में है. जिन इलाकों में तीन दिन तक पूजा मंडपों और मंदिरों पर हमला हुआ, उन इलाकों में फेनी सदर और नोआखाली चौमुहानी इलाक़ा भी शामिल है.
मालविका मजूमदार बताती हैं, ''उनके दोनों तरफ़ के सगे-संबंधी अब डर के मारे घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं. वे लोग रात-रात भर जगकर अपने घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की पहरेदारी कर रहे हैं.
वो कहती हैं कि इस देश में वो और उनका परिवार कितने सुरक्षित हैं, इसे लेकर मन में संदेह पैदा हो रहा है.
''देश में एक स्थिर सरकार होते हुए भी ऐसी स्थिति हममें से कोई नहीं चाहता. हम लोगों में से जो भी समर्थ है, वो देश छोड़ने की बात कभी नहीं सोचता था, पर अब वह पहली चिंता बन गयी है.''
वो सवाल करती हैं, ''यहां हम कितने सुरक्षित हैं? हम क्या भविष्य में यहां रह पायेंगे? हमारी अगली पीढ़ी, हमारी बेटी यहां कितनी सुरक्षित है, अब ये सवाल मेरे दिमाग़ में घूम रहा है.''
