
बंगले का गैराज, कार में अर्धनग्न लाशें... सुसाइड बनकर फाइलों में दफन हो गया था ये हाई प्रोफाइल केस
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आज से 23 साल पहले इस वारदात को अंजाम दिया गया था. ये एक ऐसी उलझी हुई वारदात थी, जिसे सीबीआई ने भी सुसाइड बताकर केस बंद कर दिया गया था. क्राइम कथा में इस बार आपके लिए पेश है कहानी उसी शिल्पी-गौतम डेथ मिस्ट्री की..
हमारे समाज में हमारे आस-पास हर दिन कई तरह के जुर्म होते हैं. जिनमें कई ऐसे संगीन मामले भी शामिल होते हैं, जिन्हें दशकों तक भुलाया नहीं जा सकता. ऐसी ही एक वारदात थी बिहार का चर्चित शिल्पी-गौतम मर्डर केस या कहें सुसाइड. जिसे आज से 23 साल पहले अंजाम दिया गया था. ये एक ऐसी उलझी हुई वारदात थी, जिसे सीबीआई ने भी सुसाइड बताकर अपना काम पूरा कर दिया था. इसके बाद ये केस बंद कर दिया गया था. क्राइम कथा में इस बार आपके लिए पेश है कहानी उसी शिल्पी-गौतम डेथ मिस्ट्री की..
गौतम की गर्लफ्रेंड थी शिल्पी ये बात 1999 की है. बिहार की राजधानी पटना में रहती थी शिल्पी जैन. जो बहुत खूबसूरत और स्टाइलिश थी. वो मिस पटना भी थी. एक दिन वो रिक्शा में बैठकर अपने इंस्टिट्यूट जा रही थी, तभी उसे अपने बॉयफ्रेंड गौतम सिंह का एक दोस्त रास्ते में मिल गया. उसने शिल्पी को इंस्टिट्यूट छोड़ देने की बात कही. चूंकि शिल्पी उस लड़के को गौतम की वजह से पहले से ही जानती थी, लिहाजा वो उसके साथ गाड़ी में सवार हो गई. लेकिन वो लड़का शिल्पी को इंस्टिट्यूट ले जाने की बजाय पटना के बाहरी इलाके में मौजूद फुलवारीशरीफ के वाल्मी गेस्ट हाउस ले गया.
शिल्पी पर टूट पड़े थे कई लोग जब शिल्पी ने उस लड़के से वहां जाने की वजह पूछी तो उसने कहा कि गौतम भी वहीं पर मौजूद है. गौतम के वहां मौजूद होने की बात सुनकर शिल्पी शांत हो गई. इसी दौरान शिल्पी के वहां पहुंचने की जानकारी गौतम सिंह को मिली, तो वह भी भागा-भागा वाल्मी गेस हाउस जा पहुंचा. क्योंकि गौतम जानता था कि वाल्मी गेस्ट हाउस की पहचान अय्याशी के अड्डे के रूप में होती है और वहां कई तरह के गलत काम होते हैं. गेस्ट हाउस के अंदर का मंजर देखकर गौतम के होश उड़ गए. वहां एक कमरे में कई लोग शिल्पी की अस्मत लूटने की कोशिश कर रहे थे. गौतम शिल्पी को बचाने की कोशिश करने लगा. दोनों मिलकर उन दरिंदों का विरोध करले लगे. लेकिन, उन वहशी लोगों के सामने उन दोनों की एक नहीं चली.
शिल्पी के घरवालों ने दर्ज कराई थी शिकायत बताया जाता है कि पहले वहां शिल्पी के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर उन दोनों की गला दबाकर हत्या कर दी गई. उधर, जब देर तक शिल्पी इंस्टिट्यूट से घर नहीं पहुंची तो वे लोग परेशान हो गए और उसके दोस्तों, जानने वालों को फोन करने लगे. मगर उन्हें शिल्पी की कोई खबर नहीं मिली. थक हारकर शिल्पी के घरवाले पुलिस के पास जा पहुंचे. मगर अगले रोज तक भी पुलिस को उसका कोई सुराग नहीं मिला.
कार में मिली थी शिल्पी-गौतम की लाशें वो 3 जुलाई 1999 का दिन था. रात के 9 बजे थे. बिहार की राजधानी पटना में गांधी मैदान थाना इलाके में आने वाले एक बड़े बंगले में दो लाश मिलने की ख़बर पुलिस को मिली. सूचना मिलने के बाद पुलिस उस बंगले पर पहुंची तो गैराज में खड़ी एक मारुति कार से 23 साल की युवती और करीब 28 साल के युवक की लाशें बरामद हुई थीं. उनके बदन पर पूरे कपड़े नहीं थे. युवक की शिनाख्त गौतम सिंह के तौर पर हुई थी. वह एनआरआई डॉ. बीएन सिंह का बेटा था. उसे राजनीति करना पसंद था. यही वजह थी कि वो तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के भाई और लालू यादव के साले साधु यादव का करीबी था. जबकि युवती की पहचान पटना में रेडिमेड कपड़ों के शोरूम कमला स्टोर के मालिक उज्जवल कुमार जैन की बेटी शिल्पी जैन के रूप में हो गई थी. मौके पर पुलिस ने पाया कि गौतम के शरीर पर ऊपरी हिस्से में कोई कपड़ा नहीं था. जबकि शिल्पी के बदन पर सिर्फ एक टीशर्ट थी, वो भी गौतम की. जिस बंगले के परिसर में लाश समेत वो कार खड़ी मिली थी, वह गौतम का ही घर बताया जा रहा था. गौतम के पिता बाहर रहते थे. वो अकेले ही वहां रहता था.
हत्या या आत्महत्या? अब सवाल यह था कि दोनों ने आत्महत्या की थी या वे दोनों किसी बड़ी साजिश का शिकार हुए थे. इसी बात को लेकर देर रात तक पटना पुलिस के आला अधिकारी मगजमारी करते रहे. लेकन जैसे-जैसे प्रारंभिक जांच आगे बढ़ी तो इस मामले के तार तत्कालीन सत्ताधारी दल के बड़े नेताओं से जुड़ने लगे थे. यही वजह थी कि पहली नजर में पुलिस ने इसे प्रेमी-प्रेमिका की आत्महत्या से ज्यादा कुछ नहीं माना. पुलिस अधिकारी अभी इस मामले की पहली तफ्तीश कर चैन की सांस भी नहीं ले पाए थे कि इस वारदात को लेकर चौतरफा शोरगुल शुरू होने लगा. मौके पर मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का भाई साधु यादव भी पहुंच गया था.

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