प्रदर्शन, झड़प और महाजाम... दिल्ली से 200KM दूर डटे हैं किसान, आज फिर कूच की तैयारी
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एक तरफ प्रदर्शन कर रहे किसान हैं, तो दूसरी तरफ आंदोलन पर अपना पक्ष रखते आम इंसान हैं. किसान कई मांगों के साथ प्रमुख रूप से फसल की गारंटी वाला दाम चाहते हैं. आम इंसान के लिए मुद्दा है प्रदर्शन के दौरान सड़क पर लगने वाला लंबा जाम, बंद होती दुकानें और आम जनजीन और व्यापार पर पड़ने वाला असर.
दो साल पहले 378 दिनों तक चले आंदोलन के बाद किसान एक बार फिर सड़क पर हैं. मोडिफाइड ट्रैक्टर, कई महीनों के राशन से लोडेड गाड़ियां और बड़े-बड़े काफिले लेकर किसान मंगलवार को 'दिल्ली कूच' के लिए निकल पड़े. वजह रही, एमएसपी और इसके अलावा उनकी अन्य मांगें, जिन पर उनके मुताबिक सरकार से सही-सही जवाब नहीं मिल सका. 12 फरवरी को किसानों की केंद्रीय मंत्रियों से हुईं बैठक बेनतीजा रही और फिर मंगलवार को शुरू हुआ प्रदर्शन, झड़प और पंजाब से लेकर एनसीआर तक सड़कों पर जाम का आलम...
किसानों के प्रदर्शन से आम जन-जीवन प्रभावित एक तरफ प्रदर्शन कर रहे किसान हैं, तो दूसरी तरफ आंदोलन पर अपना पक्ष रखते आम इंसान हैं. किसान कई मांगों के साथ प्रमुख रूप से फसल की गारंटी वाला दाम चाहते हैं. आम इंसान के लिए मुद्दा है प्रदर्शन के दौरान सड़क पर लगने वाला लंबा जाम, बंद होती दुकानें और आम जनजीन और व्यापार पर पड़ने वाला असर. किसान लाचार होकर कहते हैं वह प्रदर्शन को मजबूर हैं तो वहीं, प्रदर्शन की वजह से पैदा होने वाली स्थिति में आम इंसान लाचार है. किसान कहते हैं कि मांगें मानी जाएं तो समाधन निकले तो प्रदर्शन खत्म हो. आम इंसान चाहता है कि प्रदर्शन खत्म हो तो उसकी समस्या का समाधान निकले.
समाधान कैसे निकलेगा? सवाल ये है कि समाधान कैसे निकलेगा ? सरकार कहती है बातचीत से. हालांकि बातचीत का आलम ये है कि कई राउंड चर्चा होकर अभी सफल नहीं हो पाई है और आज सुबह से दिल्ली से सवा दो सौ किमी दूर पंजाब-हरियाणा के बीच शंभू बॉर्डर पर सबसे ज्यादा किसान औऱ पुलिस के बीच भिड़ंत देखी गई.
दो साल बाद देश में फिर किसान आंदोलन दो साल बाद देश में फिर किसान आंदोलन शुरू हो चुका है. देश के चुनाव में जब लगभग तीस दिन से कम वक्त ही बचा है तब जंग का मैदान पंजाब हरियाणा का शंभू बॉर्डर बना है. जहां नेशनल हाइवे पर एक पुल के ऊपर एक तरफ हरियाण पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के जवान मौजूद थे और पुल के दूसरी तरफ आंदोलनकारी किसान रहे. पहले आसमान से आंसू गैस का एक गोला गिरता है, फिर दनादन कई गिरते आंसू गैस के गोले के बीच भागते प्रदर्शनकारी किसान नजर आए. मंगलवार सुबह 11 बजे से शंभू बॉर्डर पर ऐसी ही लड़ाई छिड़ी दिखाई दि कि ऊपर आंसू गैस का गोला दागा जा रहा है. दंगा नियंत्रण वाहन की गन से आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं और रबर बुलेट से फायर हो रहे हैं. जब तक शाम ढल नहीं गई, यही क्रम चलता रहा.
जींद बॉर्डर पर भी किसानों की पुलिस झड़प शंभू बॉर्डर के बाद जींद बॉर्डर पर पंजाब के किसानों की हरियाणा पुलिस से झड़प हुई. शंभू बॉर्डर के बाद, जींद पंजाब बॉर्डर पर पुलिस का किसानों पर एक्शन हुआ. यहां आंसू गैस के गोले भी दागे गए. सामने आया कि, पुलिस ड्रोन द्वारा आंसू गैस के गोले दाग रही थी. शंभू बॉर्डर पर पुलिस कार्रवाई में 60 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. इसमें किसान और मीडियाकर्मी भी शामिल हैं. शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों द्वारा बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया गया. पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि, इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने हरियाणापुलिस पर भारी पथराव किया जिसके जवाब में हरियाणा पुलिस ने वाटर कैनन तथा आंसू गैस का इस्तेमाल करके स्थिति को नियंत्रण में लिया.
एग्जिट पोल का अनुमान बताता है कि बीजेपी और महायुति को जितनी सीटों पर जीतने की उम्मीद थी, वो पूरी होती नहीं दिख रही है. एग्जिट पोल में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी को 20-22, कांग्रेस को 3-4, शिवसेना (ठाकरे गुट) को 9-11, शिवसेना (शिंदे गुट) को 8-10, एनसीपी (शरद पवार) को 4-5 और एनसीपी (अजित पवार) को 1-2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.
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