
पहले पाकिस्तानी हमले पर गांधी का रुख देख जब माउंटबेटन बोले थे- आप चर्चिल लग रहे! एमजे अकबर ने सुनाया किस्सा
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एमजे अकबर ने इस दौरान महात्मा गांधी का ज्रिक करते हुए कहा कि गांधी जी के बारे में कई तरह की गलतफहमियां हैं. वे निश्चित तौर पर पिछले दो हजार सालों में अहिंसा के सबसे बड़े दूत थे. लेकिन वह 22 अक्टूबर 1947 को जीवित थे, जब आधुनिक आतंकवाद के इतिहास की शुरुआत हुई और पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने के लिए पांच हजार आतंकियों को सीमापार भेजा.
पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर की सफलता किसी से छिपी नहीं है. भारत के प्रतिनिधिमंडल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी साझा कर रहे हैं. इस दिशा में बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद की अगुवाई में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लंदन में हैं, जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने आतंकवाद पर पाकिस्तान की पोल खोल दी है.
लंदन में एमजे अकबर ने कहा कि पाकिस्तान का इतिहास उठाकर देख लीजिए, इसका जन्म हिंसा में हुआ था. यह किसी लोकप्रिय आंदोलन के जरिए अस्तित्व में नहीं आया. इसका जन्म 1946 के कलकत्ता हत्याकांड के बाद पैदा हुआ और 1971 में ढाका हत्याकांड के बाद इसकी मौत हो गई. पाकिस्तान ने इसके बावजूद अपनी हिंसा की नीति से पीछे नहीं हटा है, क्योंकि शासक वर्ग और उसके एलीट क्लास के लिए यह जेनेटिक हो गया है.
बता दें कि 1946 में हुए कलकत्ता हत्याकांड को The Great Calcutta Killing कहा जाता है. भारतीय इतिहास में एक बेहद हिंसक घटना थी. यह घटना कलकत्ता में अगस्त 1946 में हुई थी, जिसके कारण बड़े स्तर पर सांप्रदायिक दंगे हुए थे.
लंदन में सुनाया महात्मा गांधी से जुड़ा किस्सा
एमजे अकबर ने इस दौरान महात्मा गांधी का ज्रिक करते हुए कहा कि गांधी जी के बारे में कई तरह की गलतफहमियां हैं. वे निश्चित तौर पर पिछले दो हजार सालों में अहिंसा के सबसे बड़े दूत थे. लेकिन वह 22 अक्टूबर 1947 को जीवित थे, जब आधुनिक आतंकवाद के इतिहास की शुरुआत हुई और पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने के लिए पांच हजार आतंकियों को सीमापार भेजा.
उन्होंने कहा कि ये याद रखने की जरूरत है कि 22 अक्टूबर 1947 को गांधी जी हमारे बीच ही थे. लेकिन इस घटना के ठीक सात दिन बाद 29 अक्टूबर को वे लार्ड माउंटबेटन से मिलने गए. माउंटबेटन पाकिस्तान के हमले के बाद गांधी जी के रुख को देखकर हैरान रह गए थे, उन्होंने कहा था कि अहिंसा का यह आदमी आज चर्चिल की तरह लग रहा है, जिस पर गांधी जी ने उनसे कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ हम अहिंसा का रुख नहीं दिखाना चाहते. देश को इसके खिलाफ एक साथ खड़ा होना चाहिए, भारतीय सेना और हर सैनिक लड़ेगा. कोई भी भारतीय सैनिक पीछे नहीं हटेगा, वे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी जान दे देंगे.

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