'पहली बार MLA, लिंगायत समुदाय में पैठ और चौंकाने वाला चेहरा', विजयेंद्र येदियुरप्पा को कर्नाटक बीजेपी की कमान देने के मायने?
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कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र बीजेपी 10वें प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए हैं. उन्होंने नलिन कुमार कतील की जगह ली है. विजयेंद्र लिंगायत समुदाय से आते हैं और राज्य में इस समुदाय का राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव है. 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार मिली है और राज्य की सत्ता गंवानी पड़ी थी.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के छोटे बेटे बीवाई विजयेंद्र को बीजेपी ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. पार्टी ने लिंगायत समुदाय के बड़े चेहरे विजयेंद्र को कर्नाटक का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. पार्टी ने यह बदलाव राज्य में चुनाव हारने के 6 महीने बाद किया है. इसे आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों से जोड़कर भी देखा जा रहा है. पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा का लिंगायत समाज में खासा प्रभाव माना जाता है. ऐसे में पार्टी ने विजयेंद्र को संगठन की जिम्मेदारी देकर बड़ा दांव खेला है. वे अब तक पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष थे.
बता दें कि अभी तक सांसद नलिन कुमार कतील बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे. नलिन को 2019 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया था. हालांकि, विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक साल का कार्यकाल और बढ़ा दिया था. नलिन तीन बार के लोकसभा सदस्य हैं. 13 मई को आए कर्नाटक विधानसभा के चुनाव के नतीजों में बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी थी और कांग्रेस ने जबरदस्त बहुमत हासिल किया था. राज्य की 224 सीटों में से कांग्रेस ने 136 और बीजेपी सिर्फ 66 सीटें जीत सकी थी. इससे पहले 2018 के नतीजों में बीजेपी ने 104 और कांग्रेस ने 80 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस साल के चुनावी नतीजों के बाद बीजेपी ने एक और बड़ा कदम उठाया है. पार्टी ने एचडी देवगोड़ा की पार्टी जेडीएस के साथ गठबंधन किया है.
'येदियुरप्पा के उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाते विजयेंद्र'
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पहली बार विधायक बने विजयेंद्र को एक कुशल संगठनात्मक नेता के रूप में देखा जाता है. उन्होंने विभिन्न भूमिकाओं में अपनी क्षमताओं से पार्टी नेतृत्व को प्रभावित किया है. उन्होंने ओबीसी वर्ग से आने वाले नलिन कुमार कतील की जगह ली है. विजयेंद्र को येदियुरप्पा के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता है. हालांकि इस बात की प्रबल संभावना थी कि बीजेपी किसी लिंगायत नेता को प्रदेश अध्यक्ष चुनेगी, लेकिन वंशवाद के मुद्दे को नजरअंदाज करते हुए विजयेंद्र को चुनकर बड़ा दांव खेला है. कहा जाता है कि पार्टी द्वारा चुनावी राजनीति से बाहर किये जाने के बावजूद येदियुरप्पा मैदान में डटे रहे. येदियुरप्पा बीजेपी के संसदीय बोर्ड के सदस्य भी हैं. उनके बड़े बेटे बीवाई राघवेंद्र शिवमोग्गा से बीजेपी सांसद हैं.
'संगठन में खुद को किया साबित?'
विजयेंद्र ने सबसे पहले जुलाई 2020 में पार्टी उपाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला. इससे पहले वो मई 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले मैसूर जिले की वरुणा सीट से दावेदारी कर रहे थे. हालांकि, पार्टी ने टिकट नहीं दिया था. बाद में संगठन ने बीजेपी युवा विंग का महासचिव बना दिया था. इस बीच, विजयेंद्र का पार्टी में और पुराने मैसूर क्षेत्र में प्रभाव बढ़ गया. 2019 और 2020 में हुए उपचुनावों में बीजेपी की पहली जीत में विजयेंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका को श्रेय दिया गया.
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