
पहलगाम हमले के बाद दहशत में पाकिस्तान, संभावित जंग से हो सकता है इतना नुकसान
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Pahalgam terror attack के बाद Pakistan में खलबली मच गई है. अगर India और Pakistan के बीच युद्ध होता है, तो इसका असर सिर्फ सैनिक मोर्चे पर नहीं बल्कि आर्थिक पर भी होगा. जानिए भारत-पाक युद्ध से कितना नुकसान हो सकता है.
Economic Impact of War: पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद से पाकिस्तान (Pakistan) में दहशत का माहौल है. एक तरफ उसकी अर्थव्यवस्था (Pakistan Economy) पहले से ही बदहाल है, दूसरी ओर भारत (India) के संभावित हमले की आशंका ने उसे और बेचैन कर दिया है. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है, तो पाकिस्तान की हालत और भी बदतर हो जाएगी. वह ज्यादा दिन तक भारत के सामने टिक नहीं पाएगा. हालांकि इस युद्ध से भारत को भी नुकसान हो सकता है.
भारत का रक्षा बजट और युद्ध में संभावित खर्च वर्तमान में भारत का रक्षा बजट (India's Defence Budget) लगभग 6.75 लाख करोड़ रुपये है. विशेषज्ञों के अनुसार, अगर भारत-पाकिस्तान के बीच फुल स्केल वॉर होती है और वह जल्दी खत्म हो जाती है, तो भारत को लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये (20% of defence budget) खर्च करने पड़ सकते हैं.
भारत को हो सकता है इतना नुकसान लेकिन अगर जंग लंबी खिंचती है, तो ये खर्चा बढ़कर 3 से 4 लाख करोड़ रुपये तक जा सकता है. यह केवल सीधे तौर पर जंग में लगने वाला खर्च है, जबकि इसके परोक्ष प्रभाव कहीं ज्यादा व्यापक हो सकते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, अगर युद्ध चार हफ्तों तक चलता है, तो भारत को 750 अरब डॉलर यानी करीब 62 लाख करोड़ रुपए तक का आर्थिक नुकसान (Economic Loss) हो सकता है.
ये नुकसान केवल हथियारों या सैनिक खर्च से नहीं, बल्कि निम्नलिखित कारणों से होगा:
- औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट - व्यापार व्यवधान यानी व्यापार में रुकावटें - विदेशी निवेशकों का भारत से पलायन - मंहगाई में जबरदस्त उछाल - पर्यटन, सर्विस और कृषि क्षेत्र पर भारी दबाव
युद्ध में जान-माल का नुकसान किसी भी युद्ध में सबसे बड़ा नुकसान मानवता को होता है. भारत और पाकिस्तान जैसे परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच युद्ध होने की सूरत में न सिर्फ हजारों सैनिकों की जान जा सकती है, बल्कि आम नागरिक भी बड़ी संख्या में प्रभावित होंगे. भारत-पाकिस्तान युद्ध सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगा. इसका असर पूरी अर्थव्यवस्था, बाजार, आम जनजीवन और वैश्विक निवेशकों के भरोसे पर पड़ेगा.

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