
दो NCP, दो शिवसेना और दो राष्ट्रीय पार्टियां... महाराष्ट्र की सीट शेयरिंग में किसे नफा-नुकसान?
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महाराष्ट्र चुनाव के लिए महायुति और महा विकास अघाड़ी का जो संभावित सीट शेयरिंग फॉर्मूला सामने आया है, अगर वही फाइनल रहता है तो किस पार्टी को फायदा होता दिख रहा है और किसे नुकसान?
हरियाणा और जम्मू कश्मीर के बाद दो राज्यों झारखंड और महाराष्ट्र में चुनाव हैं. इन दो राज्यों के साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों की 47 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी हो रहे हैं लेकिन सबसे अधिक चर्चा महाराष्ट्र की हो रही है. महाराष्ट्र के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले महायुति और कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच 'सत्ता वॉर' माना जा रहा है.
इन दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों की अगुवाई वाले महायुति और एमवीए, दोनों ही गठबंधनों में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी हैं. दो राष्ट्रीय पार्टियों और दो-दो शिवसेना, एनसीपी के इन दो गठबंधनों में सीट शेयरिंग फॉर्मूले का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है लेकिन सत्ताधारी गठबंधन ने उम्मीदवारों का ऐलान शुरू कर दिया है.
महायुति में शामिल पार्टियों ने अब तक 182 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. वहीं, एमवीए में सीट शेयरिंग को लेकर मैराथन मंथन का दौर जारी है. सीट शेयरिंग का जो संभावित फॉर्मूला सामने आया है, उसके आधार पर अब बात इसे लेकर भी होने लगी है कि चुनाव मैदान में उतरने से पहले की इस फाइट में कौन सा दल फायदे में रहा और कौन सा घाटे में? इसे समझने के लिए 2019 के महाराष्ट्र चुनाव की सीट शेयरिंग के साथ ही चुनाव नतीजों और शिवसेना-एनसीपी में बगावत के बाद बदली परिस्थितियों में दो से चार हुई पार्टियों की स्ट्रेंथ की चर्चा भी जरूरी है.
2019 में गठबंधनों का स्वरूप और सीट शेयरिंग
महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में एक शिवसेना थी और एक एनसीपी. शिवसेना जहां बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी थी तो वहीं शिवसेना का कांग्रेस से गठबंधन था. महायुति की बात करें तो बीजेपी ने 164 और शिवसेना ने 126 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे यानि दो सीटों पर इन दो दलों के बीच फ्रेंडली फाइट थी. वहीं, विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस को 147 और एनसीपी को 121 सीटें मिली थीं. तब बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी और शिवसेना 56 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी. एनसीपी को 54, कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं.
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