दिल्ली: अमेरिकी युवती ने खुद रची अपने अपहरण की साजिश, पुलिस ने किए चौंका देने वाले खुलासे
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दिल्ली पुलिस ने अमेरिकी युवती के अपहरण मामले में चौंकाने वाला खुलासा किया है. युवती ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि उसने माता-पिता से पैसे लेने के लिए अपहरण की झूठी कहानी बनाई. उसका वीजा 6 महीने पहले खत्म हो गया था, फिर भी वह यहां रह रही थी. पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है.
नई दिल्ली में अमेरिकी युवती के अपहरण को लेकर पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. पुलिस ने बताया कि युवती का वीजा एक्सपायर हो गया था और ना ही उसके पास पैसे बचे थे. माता-पिता से पैसे लेने के लिए उसने खुद के अपहरण की झूठी कहानी रची थी. वह यहां नाइजीरियन बॉयफ्रेंड के साथ रह रही थी. उसका वीजा भी 6 महीने पहले एक्सपायर हो चुका था. फिर भी दोनों साथ में यहां रह रहे थे.
बता दें, इस फर्जी अपहरण के मामले ने स्थानीय पुलिस के साथ-साथ अमेरिकी दूतावास को भी परेशानी में डाल दिया था. दरअसल, चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में अमेरिकी दूतावास ने पिछले दिनों 23 साल की एक अमेरिकी युवती की किडनैपिंग की शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने भी बिना देरी किए हाईटेक तरीके से जांच की और 24 घंटे के भीतर युवती को सही सलामत रेस्क्यू कर लिया. युवती ने पुलिस के सामने फर्जी अपहरण की बात कबूल ली है. आइये जानते हैं क्या थी फर्जी किडनैपिंग की पूरी कहानी...
युवती ने अमेरिकी नागरिक सेवा, मां से किया संपर्क अमेरिकी युवती क्लो रेनी 3 मई को दिल्ली आई. वह देश के कई इलाकों में घूमी. 9 जुलाई को उसने अमेरिकी नागरिक सेवा को मेल करके बताया कि उसके साथ एक शख्स ने मारपीट की और उसका शारीरिक शोषण किया. इसके बाद 10 जुलाई को उसने अपनी मां सैंड्रा को वीडियो कॉल कर आप बीती सुनाई. मां ने उससे और जानकारी जुटाने की कोशिश तभी एक युवक ने वीडियो कॉल कट कर दी. परेशान मां ने वक्त गंवाए अमेरिकी दूतावास से संपर्क कर मामले की जानकारी दी. इसके बाद अमेरिकी दूतावास ने चाणक्यपुरी थाने में 15 जुलाई को अपहरण का केस दर्ज करवाया.
पुलिस ने बिना देरी कई एंगल पर किया काम पुलिस ने युवती की लोकेशन का पता लगाने के लिए अमेरिकी नागरिक सेवाओं को ईमेल भेजने के लिए लड़की द्वारा इस्तेमाल किए गए आईपी एड्रेस को लेने लिए Yahoo.com से मदद मांगी. साथ ही साथ दिल्ली पुलिस ने इमिग्रेशन डिपार्टमेंट से भी उसका इमिग्रेशन फॉर्म मांगा, जिसमें युवती ने अपना रहने का पता खसरा नंबर 44 और 45, ग्रेटर नोएडा बताया था.
पुलिस तब वहां पहुंची तो वह पता रेडिसन ब्लू होटल का निकला. पुलिस ने वहां पूछताछ की तो पता चला कि ऐसी किसी लड़की ने होटल में चेक-इन ही नहीं किया. इसके बाद में युवती जिस व्हाट्सएप नंबर का इस्तेमाल कर रही थी, उसका आईपी एड्रेस का पता लगाया.
IP एड्रेस के जरिए नाइजीरियन युवक तक पहुंची पुलिस व्हाट्सएप से मिली जानकारी से पता चला कि पीड़िता ने वॉट्सएप वीडियो कॉल करते समय किसी के वाई-फाई डेटा लिया था. इसके बाद पुलिस ने आईपी एड्रेस से जुड़े मोबाइल नंबर और कॉमन एप्लीकेशन फॉर्म (सीएएफ) में दिए गए वैकल्पिक मोबाइल नंबर की जांच की, जिसके बाद पुलिस ने इस नंबर को सर्विलांस पर डाल दिया. इसी के आधार पर पुलिस ने गुरुग्राम से 31 साल के नाइजीरियाई युवक ओकोरोफोर चिबुइके ओकोरो उर्फ रेची को पकड़ लिया. इसी के मोबाइल के आईपी एड्रेस का इस्तेमाल पर युवती ने अपनी मां को व्हाट्सएप कॉल किया था.
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