
डीके शिवकुमार क्या सचिन पायलट की तरह हाशिये पर धकेले जाएंगे या सिंधिया जैसे बनेंगे बागी?
AajTak
कर्नाटक कांग्रेस का संकट बढ़ता जा रहा है. सीएम सिद्धारमैया या डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. सिद्धारमैया न कुर्सी छोड़ना चाहते हैं और न ही डीके इंतजार करने के मूड में हैं. डीके ने गुरुवार को एक्स पर कुछ ऐसा लिखा जिसका मतलब आर-पार की लड़ाई से लगाया जा रहा है.
कर्नाटक सरकार का संकट सुलझाने में जुटी कांग्रेस का इतिहास बताता है कि जब भी ऐसा कोई मौका आया है पलड़ा हमेशा बुजुर्गों की ओर झुका है. अपेक्षाकृत युवा नेतृत्व को हमेशा से पेशेंस रखने की सलाह दी जाती रही है. यही कारण रहा है कि कांग्रेस पार्टी में महत्वाकांक्षी युवा नेताओं के साथ अन्याय हो जाता रहा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया (जिन्होंने 2020 में मध्य प्रदेश में असंतोष के बाद बीजेपी का दामन थाम लिया) और सचिन पायलट (जिन्होंने 2020 में राजस्थान में विद्रोह किया लेकिन पार्टी में ही बने रहे) दोनों ही कांग्रेस हाईकमान के वादों और आंतरिक कलह के शिकार हुए.
अब, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार (डीकेएस) की स्थिति भी इसी तरह की लग रही है. उनके सामने दो विकल्प हैं या तो सचिन पायलट की तरह धीरज रखें और इस उम्मीद में जिंदगी लगा दें कि उन्हें भी कभी बुजुर्ग होने का माइलेज मिलेगा. या तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह अपने समर्थक विधायकों के साथ बगावत कर जाएं, फिर जो होगा उसे देखा जाएगा की तर्ज पर.
डीकेएस का संघर्ष और सीएम बनाने का वादा
कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने डीकेएस को आश्वासन दिया था कि वे सीएम सिद्धारमैया के साथ 2.5 साल की पावर-शेयरिंग फॉर्मूला अपनाएंगे. सिद्धारमैया (77 वर्ष) को पहले आधा कार्यकाल मिला, और नवंबर 2025 में 2.5 साल पूरे होने पर डीकेएस (63 वर्ष) को सीएम बनना था. कांग्रेस के सामने संकट यह है कि सिद्धारमैया ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी और हाईकमान सिद्धारमैया के पक्ष में हैं, जो डीकेएस के समर्थकों को धोखा लग रहा है. अभी तक राहुल गांधी और डीकेएस की मुलाकात नहीं हो सकी है. गुरुवार को डीकेएस ने कुछ क्रिप्टिक पोस्ट शेयर की थी. जिसका अर्थ यह निकाला जा रहा है कि पार्टी ने जो वादा किया था उसे निभाना चाहिए. शायद डीके अपनी पोस्ट में यह कहना चाहते हैं कि किसी को जुबान देने की अहमियत होती है. डीकेएस के समर्थक दिल्ली में डेरा डाले हैं, और पार्टी में फूट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.
डीकेएस कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और पार्टी को 2023 में सत्ता में लाने वाले हीरो माने जाते हैं. वे दक्षिण भारत में कांग्रेस के क्राइसिस मैनेजर भी हैं. तेलंगाना से लेकर कर्नाटक तक. लेकिन हाईकमान की अनदेखी से वे पीड़ित महसूस कर रहे हैं. जाहिर है कि इस बार शायद ही शिवकुमार कांग्रेस हाईकमान की पेशेंस रखने की बात को स्वीकार करें. डीकेएस को पता है कि अगली बार राज्य में कांग्रेस की सरकार आने वाली नहीं है. अगर सरकार आ गई तो फिर उन्हें कुर्सी मिलने वाली नहीं है. क्योंकि फिर चुनाव जिताने का श्रेय मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ले जाएंगे. इसलिए डीकेएस के पास करो या मरो जैसी स्थिति है.
क्या सचिन पायलट की तरह हाशिये पर धकेल दिए जाएंगे डीकेएस?

टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर के बाबरी मस्जिद जैसे ढांचे का आधारशिला रखने के बाद अब हैदराबाद में बाबरी मस्जिद की 33वीं बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में Tahreek Muslim Shabban ने ग्रेटर हैदराबाद में बाबरी मस्जिद का स्मारक और कल्याणकारी संस्थान बनाने की घोषणा की है. संगठन का दावा है कि यह स्मारक नफरत नहीं, बल्कि प्रेम और भाईचारे का संदेश देगा.

पांच दिनों से जारी बड़े पैमाने पर उड़ान रद्द और देरी के बाद DGCA ने इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स और अकाउंटेबल मैनेजर इसिड्रो पोर्केरास को 24 घंटे में जवाब देने का नोटिस भेजा है. इंडिगो ने कहा कि नेटवर्क रीबूट के लिए उड़ानें कम करनी पड़ीं, लेकिन अब 95% कनेक्टिविटी बहाल हो चुकी है. एयरलाइन ने यात्रियों से माफी मांगी है.











