
ट्रंप प्रशासन में व्हाइट हाउस के सलाहकार बने 2 'जिहादी', एक का तो लश्कर और अल-कायदा से रहा है लिंक
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रॉयर पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप लगे थे, जिनमें अमेरिका के खिलाफ युद्ध की साजिश रचना और 2003 में अल-कायदा और लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करना शामिल था. वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 2004 में उसने हथियारों और विस्फोटकों के उपयोग में सहायता करने और उन्हें बढ़ावा देने का अपराध स्वीकार किया था.
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने दो जिहादियों इस्माइल रॉयर और शेख हमजा को व्हाइट हाउस के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग के सलाहकार बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया है. यह खुलासा सबसे पहले पत्रकार लॉरा लूमर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर किया. रॉयर आतंकवाद से संबंधित आरोपों में 13 साल जेल में बिता चुका है. रॉयर पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप लगे थे, जिनमें अमेरिका के खिलाफ युद्ध की साजिश रचना और 2003 में अल-कायदा और लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करना शामिल था.
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 2004 में उसने हथियारों और विस्फोटकों के उपयोग में सहायता करने और उन्हें बढ़ावा देने का अपराध स्वीकार किया था, जिसके लिए उसे 20 वर्ष की सजा सुनाई गई थी और 13 वर्ष जेल में बिताने पड़े थे.
व्हाइट हाउस ने रॉयर को अपने एडवाइजरी बोर्ड ऑफ ले लीडर्स में शामिल करने का ऐलान करते हुए उसके बारे में लिखा कि उसने पारंपरिक इस्लामी विद्वानों के साथ धार्मिक विज्ञान का अध्ययन किया है और गैर-लाभकारी इस्लामी संगठनों में एक दशक से अधिक समय तक काम किया है. उसने 1992 में इस्लाम धर्म अपना लिया था.
इसमें आगे कहा गया है कि उसका लेखन कई प्रकाशनों में प्रकाशित हुआ है और उसने इस्लाम पर एक लेख 'रिलीजियस वायलेंस टुडे: फेथ एंड कॉन्फ्लिक्ट इन मॉडर्न वर्ल्ड' का सह-लेखन भी किया है. 2023 में मिडिल ईस्ट फोरम के साथ बातचीत में रॉयर ने अपनी यात्रा को याद किया था कि कैसे वह जिहादी बना.
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उसने लश्कर-ए-तैयबा के साथ अपने संबंधों के बारे में कहा था, 'मुझे लश्कर-ए-तैयबा के लोग पसंद थे. मैं बिन लादेन का बहुत विरोधी था. मुझे लगता था कि अल कायदा एक भटका हुआ समूह है. मुझे लश्कर-ए-तैयबा में जाने की सलाह दी गई और बताया गया कि यह कोई चरमपंथी समूह नहीं है, बल्कि इनका झुकाव सऊदी अरब के इमाम की ओर है. मैंने मस्जिद में मुसलमानों को लश्कर में शामिल होने और उनके साथ (कश्मीर में) प्रशिक्षण लेने के लिए प्रोत्साहित किया. प्रशिक्षण वास्तव में उतना गंभीर नहीं था, यह पर्यटन की तरह था. यह कुछ इस तरह था, यहां, हम आपको बंदूकें चलाने देंगे और पहाड़ों पर घूमने देंगे और फिर घर वापस जाने देंगे. यह लगभग एक तरह का प्रमोशन था.'

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