
ट्रंप को नोबेल नहीं मिलने पर पुतिन और नेतन्याहू भी निराश, बोले- असलियत सबके सामने
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस साल नोबेल पीस प्राइज पाने से चूक गए हैं. इसे लेकर पुतिन और नेतन्याहू ने निराशा जताई है. पुतिन ने कहा कि ट्रंप शांति के लिए बहुत काम करते हैं. वहीं, नेतन्याहू ने कहा कि ट्रंप ही नोबेल के असली हकदार थे.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस साल नोबेल पीस प्राइज नहीं मिला है. इस पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की प्रतिक्रिया सामने आई है. दोनों नेताओं ने इसे लेकर निराशा जताई है. एक ओर जहां रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि ट्रंप शांति के लिए बहुत काम करते हैं और मिडिल ईस्ट में हुआ सीजफायर को इसका प्रमुख है. हालांकि पुतिन ने यह भी स्पष्ट किया कि ये तय करना उनका काम नहीं है कि ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं या नहीं. पुतिन ने ट्रंप की गाजा शांति पहल की चर्चा की और कहा कि अगर ये योजना सफल होती है, तो यह वास्तव में ऐतिहासिक उपलब्धि होगी.
वहीं, इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि नोबेल समिति शांति की बात करती है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उसे हकीकत में बदलते हैं. उन्होंने लिखा कि फैक्ट खुद बोलते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप ही नोबेल के असली हकदार हैं.
बता दें कि इस साल वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिनो मचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला है. इसके बाद व्हाइट हाउस ने डोनाल्ड ट्रंप को नज़रअंदाज़ किए जाने को लेकर नोबेल समिति की आलोचना की. व्हाइट हाउस ने नोबेल समिति पर आरोप लगाया कि उन्होंने शांति की बजाय राजनीति को प्राथमिकता दी. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता स्टीवन चेउंग ने एक्स पर लिखा कि राष्ट्रपति ट्रंप शांति समझौते करते रहेंगे, युद्ध समाप्त करते रहेंगे और जानें बचाते रहेंगे. उनका दिल एक मानवतावादी है, और उनके जैसा कोई नहीं होगा जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर पहाड़ों को हिला सके.
वहीं, इज़रायली रक्षा बलों (IDF) ने घोषणा की कि ट्रंप के 20-सूत्रीय गाजा पीस प्लान के तहत इज़रायल और हमास के बीच युद्धविराम लागू हो गया है. इसके तहत दोनों पक्षों ने पहले चरण की शांति प्रक्रिया की शर्तों को स्वीकार किया. लिहाजा 2 साल पुराना युद्ध खत्म हो गया है, इसकी शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा दक्षिणी इज़रायल में हमले के बाद हुई थी. उस हमले में 1200 लोगों की मौत हुई थी और 250 लोग बंधक बनाए गए थे.

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