
जिस स्कूल से शुरू हुआ हिजाब विवाद, वहां की छात्रा ने SC के फैसले पर क्या बोला?
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हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो चुका है. कर्नाटक के जिस उडुपी सरकारी कॉलेज से ये विवाद शुरू हुआ था, वहां की छात्रा ने कोर्ट के फैसले पर अपने विचार सामने रखे हैं. उनकी तरफ से जस्टिस सुधांशु धूलिया के फैसले का स्वागत किया गया है.
कर्नाटक हिजाब विवाद पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश तो सुनाया, लेकिन क्योंकि फैसला एकमत नहीं था, ऐसे में किसी भी तरह का निष्कर्ष नहीं निकाला जा सका. एक तरफ जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करने की बात कही तो वहीं दूसरी तरफ जस्टिस हेमंत गुप्ता ने बैन जारी रखने पर सहमति जताई. अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट की ही बड़ी बेंच के पास चला गया है.
फैसले का स्वागत, जस्टिस धूलिया की तारीफ
वैसे सुप्रीम कोर्ट के इस स्प्लिट वर्डिक्ट पर भी कई तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. हिजाब बैन का विरोध करने वाली उडुपी सरकारी कॉलेज की एक छात्रा ने इस बात पर खुशी जाहिर की है कि जस्टिस सुंधाशु धूलिया के फैसले ने संवैधानिक सिद्धांतों को बचाने का काम किया है. ट्वीट कर लिखा गया है कि इस फैसले ने पीड़ित लड़कियों के अधिकार की रक्षा की है. जस्टिस धूलिया के बयान ने तो निष्पक्ष फैसले को लेकर उम्मीद बढ़ा दी है. हजारों हिजाब पहनने वाली छात्राएं एक बार फिर अपनी पढ़ाई शुरू करने का इंतजार कर रही हैं.
जजों ने फैसले पर क्या कहा?
जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले में जस्टिस हेमंत गुप्ता ने 136 पेज का फैसला लिखा. वहीं, जस्टिस धूलिया ने 73 पेज में अलग फैसला लिखा. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने अपने फैसले में लिखा कि धर्मनिरपेक्षता को अलग तरीके से समझना होगा. धर्मनिरपेक्ष गतिविधियों में धर्म का अतिक्रमण स्वीकार नहीं किया जा सकता. वहीं, जस्टिस धूलिया ने लिखा कि स्कूलों में अनुशासन जरूरी है, लेकिन स्वतंत्रता और गरिमा की कीमत पर नहीं. दरवाजे पर किसी कॉलेज की छात्रा से हिजाब उतारने की बात कहना उसकी निजता और गरिमा का हनन है. लेकिन अभी के लिए इस मामले में क्योंकि दोनों जजों की राय अलग रही, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित इसके लिए नई बेंच का गठन करेंगे.

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