
जिस रूस से यूरोप डरा हुआ, अमेरिका दिख रहा उसके लिए न्यूट्रल, क्या अलग हो जाएंगे दो महाशक्तियों के रास्ते?
AajTak
दशकों बाद अमेरिका और यूरोप के नफा-नुकसान और दोस्त-दुश्मन भी अलग-अलग दिख रहे हैं. भले ही दोनों अब भी NATO नाम के अंब्रेला के नीचे हैं, भले ही UN का तार उन्हें जोड़े रखता है, लेकिन दूरियां आ चुकीं. तो क्या ये दूरी खाई बन जाएगी, और क्या असर होगा इसका वर्ल्ड ऑर्डर पर?
इस हफ्ते NATO बैठक में एक बात साफ दिखी. जनरल सेक्रेटरी मार्क रुटे अमेरिका और यूरोप के बीच तालमेल बैठाते दिखे. फिलहाल तो डोनाल्ड ट्रंप नाटो में बने रहने पर राजी दिख रहे हैं, लेकिन शर्तों के साथ. बात केवल नाटो की नहीं, लंबे वक्त बाद अमेरिका और यूरोप दो अलग खेमे दिखने लगे. कभी साझा रहे उनके दोस्त और दुश्मन भी बदल रहे हैं. क्या ये दूरियां वक्ती हैं, जो ट्रंप के कार्यकाल के साथ खत्म हो जाएंगी, या दोनों के बीच केमिस्ट्री वाकई जा चुकी!
यूएस-यूरोप के बीच दूरियों को समझने के लिए एक बार उनके करीब आने की वजह समझते चलें. पहले ये अलग-अलग खेमे थे, जो आपस में न तो दोस्त थे, न ही दुश्मन. असल साझेदारी दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद हुई थी. तब अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और सोवियत संघ (अब रूस) ने मिलकर जर्मनी और जापान को हरा दिया. जंग के बाद यूरोप तबाह हो चुका था, जबकि सोवियत ताकतवर हो रहा था.
इसी वक्त वॉशिंगटन ने यूरोप को इकनॉमिक ताकत देने के लिए मार्शल प्लान चलाया. साथ ही सैन्य जिम्मेदारी संभालने के लिए नाटो बन गया. यहां से दोनों के बीच शेयर्ड हित और नुकसान दिखने लगे. दोनों का दुश्मन भी एक ही था- सोवियत संघ. यूरोप कमजोर था इसलिए उससे डरा हुआ था. और अमेरिका मजबूत था, इसलिए डरा हुआ था. वो अपनी शक्ति किसी और को देने को राजी नहीं था.
कोल्ड वॉर के दौर में यूएस-यूरोप का एक ही नारा था- एक पर हमला यानी सब पर हमला. इस पूरे वक्त दोनों ने ज्यादातर फैसले मिलकर लिए. नब्बे के दशक में सोवियत टूटा. इसके बाद साझा दुश्मन खत्म हो गया. अमेरिका के पास नए मुद्दे आ गए. वो मिडिल ईस्ट, चीन और अफगानिस्तान की तरफ देखने लगा. जबकि यूरोप का फोकस अब भी वहीं अटका हुआ था. साथ ही उसके पास नए मुद्दे थे, जैसे शरणार्थियों की भीड़ बढ़ना.
वक्त के साथ अमेरिका और यूरोप में दूरियां बढ़ती ही गईं. यूएस सुपर पावर की अपनी कुर्सी पर जमा हुआ है, जबकि यूरोप कमजोर हो रहा था. ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में आते ही नाटो से अलग होने की धमकी देनी शुरू कर दी. ये यूरोप के लिए बड़ी चोट है. फिलहाल वो डरा हुआ है. दरअसल साढ़े तीन सालों से रूस और यूक्रेन में लड़ाई चल रही है. यूक्रेन को सपोर्ट यूरोप और यूएस से मिलता आया. अब अगर यूएस अपने हाथ खींच ले तो यूक्रेन कमजोर पड़ जाएगा. इसका मतलब ये है कि रूस यूक्रेन से होते हुए यूरोप के भीतर आ सकता है. यही वजह है कि सीमावर्ती और दूर-दराज के सारे देश परेशान हैं कि आज नहीं तो कल उनका भी नंबर न आ जाए.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.







