
'जापान फर्स्ट' की हिमायती, बाइक की शौकीन... पहली महिला PM बनीं ताकाइची
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जापान ने पहली बार महिला प्रधानमंत्री साने ताकाइची को चुना है, जिन्होंने दक्षिणपंथी जापान इनोवेशन पार्टी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई है. ताकाइची की सरकार जापान की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद स्थिरता लाने की कोशिश करेगी, लेकिन उनके रूढ़िवादी और दक्षिणपंथी रुख से घरेलू और क्षेत्रीय चुनौतियां बढ़ सकती हैं.
साने ताकाइची के रूप में जापान को पहली महिला प्रधानमंत्री मिल गई हैं. जापान की संसद ने मंगलवार को कट्टरपंथी ताकाइची को देश की प्रधानमंत्री के रूप में चुना है. ताकाइची की सत्तारूढ़ पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) ने ठीक एक दिन पहले जापान इनोवेशन पार्टी के साथ गठबंधन किया था जिसके बाद उनके पीएम बनने का रास्ता साफ हो पाया है. नए गठबंधन को लेकर माना जा रहा है कि ताकाइची की सरकार और अधिक दक्षिणपंथी रुख अपनाएगी.
ताकाइची ने शिगेरू इशिबा की जगह ली है. इशिबा, जो केवल एक साल तक प्रधानमंत्री पद पर रहे, ने मंगलवार सुबह अपने मंत्रिमंडल सहित इस्तीफा दे दिया.
64 साल की ताकाइची के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही जापान में तीन महीने से जारी राजनीतिक गतिरोध और जुलाई के संसदीय चुनाव में गठबंधन की हार के बाद चली आ रही उथल-पुथल खत्म हो गई है.
मध्यमार्गी कोमेतो पार्टी ने 26 साल पुराने गठबंधन के बाद सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) से अलग होने का फैसला किया था. यह कदम ताकाइची के एलडीपी अध्यक्ष चुने जाने के कुछ ही दिन बाद आया, जिससे उन्हें बहुमत पाने और प्रधानमंत्री बनने के लिए नए सहयोगी की तलाश करनी पड़ी.
बौद्ध समर्थित कोमेतो ने ताकाइची को अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर एलडीपी से रिश्ता तोड़ दिया था. पार्टी का कहना था कि ताकाइची की राजनीति अति-रूढ़िवादी है और भ्रष्टाचार घोटालों पर एलडीपी नरम रुख अपना रही है. यही वजह थी कि एलडीपी लगातार चुनाव हार रही थी और दोनों सदनों में बहुमत खो बैठी थी.
हालांकि, जापान का विपक्ष एलडीपी के खिलाफ एकजुट नहीं हो पाया और देश की तीन प्रमुख विपक्षी पार्टियों के नेता सरकार बदलने के लिए साथ नहीं आए. वहीं, ताकाइची ने इसका तुरंत समाधान निकाला और ओसाका स्थित 'इशिन नो काई' (जापान इनोवेशन पार्टी) के साथ हाथ मिला लिया. यह पार्टी जापान की सबसे दक्षिणपंथी विपक्षी पार्टी मानी जाती है. सोमवार को दोनों पार्टियों ने एक गठबंधन समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कूटनीति, सुरक्षा और ऊर्जा पर साझा नीति लक्ष्य तय किए गए हैं.

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