
जहां कभी होटल था, वहां अब सिर्फ मलबा... धराली में खुदाई के दौरान मिली 3 मंजिला इमारत, तस्वीरों में देखें तबाही के मंजर
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धराली क्षेत्र में आई विनाशकारी आपदा में करीब 45 फीट गहरे मलबे के नीचे कई इमारतें दब गईं हैं. स्थानीय लोगों का जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया. राहत और बचाव दल पूरी क्षमता के साथ फंसे लोगों को निकालने में जुटे हैं. मलबा हटाने का काम जारी है ताकि जल्द से जल्द जीवित लोगों तक पहुंचा जा सके.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में आए विनाशकारी आपदा के छह दिनों बाद भी राहत बचाव कार्य तेजी से किया जा रहा है. रेस्क्यू ऑपरेशन 24 घंटे लगातार चल रहा है. जो स्थानीय लोग बाढ़ की चपेट से बचाए गए, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है. इंडियन आर्मी का एक अतिरिक्त कॉलम नॉर्थ से भेजा जा रहा है, जिसमें एक अफसर, एक जेसीओ और 30 जवान हैं. ये 150 जवानों की मौजूदा टीम में शामिल होकर काम करेंगे. अतिरिक्त ट्रैकर डॉग्स और ड्रोन भी भेजे जा रहे हैं ताकि सर्च और रेस्क्यू में तेजी लाई जा सके.
धराली के नॉर्थ और साउथ की दोनों सड़कें लैंडस्लाइड से बंद हैं, जिससे भारी उपकरण पहुंचाने में मुश्किल हो रही है. फिर भी सेना की कोशिश है कि उपकरण समय पर पहुंचें और फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान बड़े-बड़े पत्थरों और मलबे को पार करते हुए फंसे लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
दूसरी ओर राहत बचाव के दौरान की तस्वीरें और वीडियो जो सामने आ रही हैं वो साफ बता रही हैं कि ये आपदा कितना विनाशकारी था.
मलबे में दबी निकली तीन मंजिला इमारत
धराली क्षेत्र में लगभग 45 फीट गहरे मलबे के नीचे कई इमारतें समा गई हैं. इस त्रासदी से इलाके के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और राहत और बचाव दल तेजी से जिंदगी बचाने के लिए कठिन प्रयास कर रहे हैं. राहत दल के सदस्य कुल्हाड़ी, जेक हैमर, और भारी मशीनरी का प्रयोग कर मलबा हटाने में जुटे हुए हैं ताकि फंसे हुए लोगों तक जल्दी पहुंचा जा सके.
आसपास के गावों से भी राहत कार्य में सहायता पहुंचाई जा रही है. रेस्क्यू टीमों में जवान, पुलिस, अग्निशमन विभाग और मेडिकल सहायता कार्यरत हैं. राहत दल की प्राथमिकता है कि फंसे हुए लोगों को जीवित निकालकर उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया जाए.

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