
...जब अमेरिका ने अपने गुलामों को बसाने के लिए विदेश में जमीन खरीदकर बसा दिया नया देश
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अमेरिका कभी भी सिर्फ गोरों की धरती नहीं थी. अमेरिका तो रेड इंडियंस की धरती थी जो कि 19वीं सदी तक घटकर सिर्फ 2 फीसदी रह गए. लेकिन अमेरिका उनसे भी ज्यादा आबादी थी अफ्रीकी अश्वेतों की. गुलामों के रूप में अमेरिका लाए गए अप्रीकी अश्वेतों की आबादी वैसे तो 15 फीसदी थी लेकिन उनकी गिनती नहीं थी. वे तो गुलाम थे.
क्या आपने किसी ऐसे देश के बारे में सुना है जिसे किसी और देश ने विदेश में जमीन खरीदकर बसाया हो और उसे भी अपने गुलामों के लिए. मतलब एक पूरा देश बसा दिया गया हो गुलामों को बसाने के लिए. हां, ऐसा हुआ है और उसका कनेक्शन अमेरिका से जुड़ा हुआ है. अभी अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की गहमागहमी तेज हो रही है तो ऐसे में अमेरिका के इतिहास पर एक नजर डालना तो बनता है. अमेरिका के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप जीतें या कमला हैरिस लेकिन उसका नतीजा पूरी दुनिया को लेकर नीतियों में बदलाव के रूप में देखने को मिलेगा. इसलिए अमेरिकी हिस्ट्री की इस अहम कहानी को जानना बहुत जरूरी है.)
अमेरिका यानी अंकल सैम के अतीत, वर्तमान और भविष्य सबका असर दुनिया के बाकी देशों पर भी होता है. अमेरिकी इतिहास में कई ऐसे विलुप्त अध्याय रहे हैं जिनके बारे में आज भले ही कम लोग जानते हों लेकिन उसका संदेश बहुत व्यापक रहा है. लिंकन, मार्टिन लूथर किंग-जूनियर और केनेडी का ये देश 1776 में आजाद हुआ था यानी भारत की आजादी से भी 171 साल पहले.
कभी हिप्पियों और जिप्सियों का देश कहा जाने वाला अमेरिका नाम का ये मुल्क लगातार बदलता रहा... जैज म्यूजिक के दौर से पॉप म्यूजिक तक लाइफस्टाइल बदला तो सिविल सोसाइटी, नागरिक अधिकारों और अश्वेत लोगों से नस्लीय भेदभाव मिटाने के कदमों जैसे कई मानवीय सुधारों पर भी आगे बढ़कर अमेरिका जैसे मुल्क ने दुनिया को कई पाठ पढ़ाए. आज हम उस दौर की बात कर रहे हैं जब गुलामी खत्म करने के लिए अमेरिका ने जमीन खरीदकर एक नया मुल्क ही बना दिया.
गुलामी की कहानी
अमेरिका कभी भी सिर्फ गोरों की धरती नहीं थी. अमेरिका तो रेड इंडियंस की धरती थी जो कि 19वीं सदी तक घटकर सिर्फ 2 फीसदी रह गए. लेकिन अमेरिका उनसे भी ज्यादा आबादी थी अफ्रीकी अश्वेतों की. गुलामों के रूप में अमेरिका लाए गए अप्रीकी अश्वेतों की आबादी वैसे तो 15 फीसदी थी लेकिन उनकी गिनती नहीं थी. वे तो गुलाम थे. अंग्रेजों के साथ आए आयरिश मजदूरों की जगह इन्होंने कब की ले ली थी लेकिन उनके पास कोई अधिकार नहीं था. गुलाम बनाया वहां कानूनी था. वे दो सौ वर्षों से अमेरिकी खेतों में काम कर रहे थे, अमेरिका की राजधानी में इमारतें बना रहे थे, अमेरिका को उद्योग का केंद्र बना रहे थे, पीढ़ी-दर-पीढ़ी.
लेकिन कुछ लोग थे जिन्हें अमेरिका में गुलामी की ये प्रथा दर्द देती थी, मानवीय दर्द. उनके मन में ये सवाल उठता कि एक इंसान दूसरे इंसान का गुलाम कैसे हो सकता है? बात अब्राहम लिंकन से भी बहुत पहले की है. अमेरिकी राष्ट्रपति जेम्स मुनरो ने उनको मुक्त करने की सोची. नॉर्थ के राज्यों से उन्हें मुक्त भी किया गया लेकिन अब सवाल उठा कि आजाद हुए ये लोग जाएं कहां. क्या वापस अफ्रीका?

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