
जंग के दौरान चीन-PAK की 'सैटेलाइट सांठगांठ' भारत के लिए कितनी खतरनाक है?
AajTak
चीन द्वारा पाकिस्तान को सैटेलाइट डेटा साझा करना एक रणनीतिक कदम है, जो पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को बढ़ाता है. भारत के लिए नई चुनौतियां पैदा करता है. युद्ध के समय यह सहायता पाकिस्तान को भारतीय सैन्य गतिविधियों को ट्रैक करने और हमलों को सटीक बनाने में मदद करती है, जिससे क्षेत्रीय तनाव और परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ता है.
चीन और पाकिस्तान के बीच गहरा सैन्य और रणनीतिक सहयोग लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है. हाल के वर्षों में, विशेष रूप से 2025 में भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान, यह खबर सामने आई कि चीन ने पाकिस्तान को सैटेलाइट डेटा (खुफिया जानकारी) साझा किया. यह सहयोग क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सवाल उठाता है.
चीन द्वारा सैटेलाइट डेटा साझा करने का मतलब
सैटेलाइट डेटा साझा करने का अर्थ है कि चीन अपनी सैन्य और निगरानी सैटेलाइट्स से प्राप्त जानकारी, जैसे तस्वीरें, रडार डेटा और सैन्य गतिविधियों की निगरानी को पाकिस्तान के साथ साझा करता है. ये सैटेलाइट्स इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉन्सेन्स (ISR) के लिए उपयोग किए जाते हैं, जो युद्ध या तनाव के समय दुश्मन की गतिविधियों को ट्रैक करने में मदद करते हैं.
यह भी पढ़ें: एक ही झटके में हो जाएगा किराना हिल्स का खात्मा! अमेरिका के बंकर बस्टर से भी खतरनाक मिसाइल तैयार कर रहा भारत
2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष के दौरान, भारतीय रक्षा मंत्रालय से जुड़े एक थिंक टैंक, सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज (CENJOWS) ने दावा किया कि चीन ने पाकिस्तान को सैटेलाइट डेटा और हवाई रक्षा सहायता प्रदान की. इस सहायता में शामिल था...

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुक्रवार को अपने एक साल का सफर तय कर लिया है. संयोग से इस समय महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, जिसे लेकर त्रिमूर्ति गठबंधन के तीनों प्रमुखों के बीच सियासी टसल जारी है. ऐसे में सबसे ज्यादा चुनौती एकनाथ शिंदे के साथ उन्हें बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से भी अपने नेताओं को बचाए रखने की है.

नो-फ्रिल्स, जीरो कर्ज, एक ही तरह के जहाज के साथ इंडिगो आज भी खड़ी है. लेकिन नए FDTL नियमों और बढ़ते खर्च से उसकी पुरानी ताकत पर सवाल उठ रहे हैं. एयर इंडिया को टाटा ने नया जीवन दिया है, लेकिन अभी लंबी दौड़ बाकी है. स्पाइसजेट लंगड़ाती चल रही है. अकासा नया दांव लगा रही है. इसलिए भारत का आसमान जितना चमकदार दिखता है, एयरलाइन कंपनियों के लिए उतना ही खतरनाक साबित होता है.










