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चो ला और डोक ला भारत-चीन का बैटलफील्ड! सिक्किम सरकार ने पर्यटकों के लिए खोला, 2 जंगों की गवाह हैं पहाड़ियां
Zee News
Battlefield Tourism: सिक्किम सरकार ने एक शानदार पहल की है. केंद्र सरकार और इंडियन आर्मी से बातचीत के बाद चो ला और डेक ला दर्रे को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. सीएम ने यहां बाइक सवारों और कुछ वाहनों को रवाना कर पर्यटन की औपचारिक शुरुआत की है.
Battlefield Tourism: भारत और चीन की सरहद पर स्थित चो ला और डोक ला को सिक्किम सरकार ने पर्यटकों के लिए खोल दिया है. यह जगह भारत और चीन के सैनिकों की बैटल फील्ड रही है. इन पहाड़ियों जंग के निशान हैं. वीर सैनिकों का खून है. सिक्किम के सीएम प्रेम सिंह तमांग ने गंगटोक के रिज पार्क से 25 बाइकों और पर्यटक वाहनों को इन सरहदी इलाकों के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यह एक औपचारिक शुरुआत थी.

Indian Army SAKSHAM system: भारत की हवाई सीमाएं पूरी तरह से अभेद्य बनने जा रही हैं. इसके लिए इंडियन आर्मी ने SAKSHAM पर भरोसा जताया है. जो पूरी तरह AI से लैस है. यानी यह दुश्मन के ड्रोन हमलों को खुद ही रोकने में सक्षम होगा. वहीं, रक्षा सूत्रों ने बताया, “यह केवल ड्रोन के बारे में नहीं है. यह हमारे युद्धक्षेत्र पर स्वायत्तता, गति और नियंत्रण के बारे में है.” SAKSHAM भविष्य के युद्धक्षेत्र में भारतीय सेना की श्रेष्ठता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

DRDO Netra Mk II: नेत्रा Mk II का विकास भारतीय वायुसेना के लिए एक निर्णायक बदलाव लाएगा, जिससे हवाई क्षेत्र में भारत की ताकत और भी अधिक मजबूत होगी. यह विमान अग्रिम मोर्चे पर लंबी दूरी की हवाई निगरानी करेगा, जिससे दुश्मन के किसी भी मिसाइल या हवाई हमले का पता बहुत पहले ही लग जाएगा. जिससे इंडियन एयरफोर्स किसी भी मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने में बढ़त हासिल होगी.

Robot made artillery shells India: इंडियन आर्मी को अब जंग के मैदान में तोप के गोलों की न के बराबर कमी होगी. इतना ही नहीं, यह गोले अंतरराष्ट्रीय मानक पर भी एकदम खरे उतरेंगे. दरअसल, भारत की देसी कंपनी ने तोप के गोले बनाने का जिम्मा अब रोबोट के हवाले कर दिया है. जिससे गोले की सटीकता व तेज उत्पादन सुनिश्चित होगा. ऐसे में आइए इस देसी कंपनी के बारे में और बनने वाले तोप के गोलों की सटीकता के बारे में जानते हैं.

Hindu population outside of India: Pew Research Center की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू धर्म को मानने वालों का करीब 94-95% हिस्सा भारत में ही रहता है. पर बाकी अकेले देशों में लाखों-करोड़ों हिन्दू रहते हैं और उन्होंने अपनी उपस्थिति, पहचान और धार्मिक अभ्यास को वर्षों से कायम रखा है. इसका मतलब है, हिंदू धर्म सिर्फ भारत का धर्म नहीं रहा, बल्कि एक वैश्विक पहचान बन चुकी है.









