चीन से क्या चाहते हैं पुतिन? पांचवीं बार प्रेसिडेंट बनने के बाद सबसे पहले जिनपिंग से क्यों मिलने गए रूसी राष्ट्रपति
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व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी. इसके बाद से ये उनका पहला विदेश दौरा है. लेकिन राष्ट्रपति के तौर पर पद्भार संभालने के बाद पहले दौरे के लिए चीन को चुनने का पुतिन का फैसला चर्चा में बना हुआ है.
यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को चीन पहुंच गए हैं. वह चीन के दो दिवसीय दौरे पर हैं. वह इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे. जिनपिंग से पुतिन की मुलाकात पर दुनियाभर की नजरें हैं.
पुतिन ने हाल ही में पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी. इसके बाद से ये उनका पहला विदेश दौरा है. लेकिन राष्ट्रपति के तौर पर पद्भार संभालने के बाद पहले दौरे के लिए चीन को चुनने का पुतिन का फैसला चर्चा में बना हुआ है.
कहा जा रहा है कि पुतिन ने इस दौरे से अपनी प्राथमिकताओं को लेकर दुनिया को एक मैसेज दिया है. पुतिन ने बता दिया है कि शी जिनपिंग से उनके संबंध बहुत मायने रखते हैं. दरअसल चीन और रूस ने फरवरी 2022 में 'नो लिमिट्स' पार्टनरशिप का ऐलान किया था.
चीन पहुंचने के बाद पुतिन ने क्या कहा?
चीन पहुंचने के बाद पुतिन ने शी जिनपिंग की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्रीय हितों और आपसी विश्वास के आधार पर रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी के निर्माण में जिनपिंग ने अहम भूमिका निभाई है. दोनों देशों के बीच स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप की वजह से ही मैंने एक बार फिर रूस के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद चीन का सबसे पहला दौरा करने का फैसला किया.
उन्होंने कहा कि हम उद्योग, उच्च तकनीक, स्पेस, न्यूक्लियर एनर्जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इनोवेटिव सेक्टर में सहयोग को और बढ़ाने की कोशिश करेंगे.
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने एक बयान में कहा है कि पिछले 4 वर्षों से खबरें आ रही हैं कि चीन भारतीय सीमा में प्रवेश कर रहा है. सरकार इन मुद्दों पर स्पष्ट जानकारी नहीं दे रही है, जिससे संदेह पैदा हो रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि वह हमेशा सब कुछ छुपाने की कोशिश में रहते हैं. इसका परिणाम यह है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दोनों देशों के बीच क्या समझौता हुआ है. इस स्थिति ने कई लोगों को चिंतित कर दिया है.