
चीन का वो मिलिट्री कैंप, जहां रोज होती है असल जंग की तैयारी! साइज में हांगकांग से भी लंबा-चौड़ा है
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लगभग 6 दशकों से चीन के सैनिक आपस में रोज लड़ाई कर रहे हैं. असली युद्ध की तर्ज पर इसमें सेना की दो टुकड़ियां एक-दूसरे पर हमला करती है. यहां तक कि सैनिक घायल भी होते हैं. कुछ साल पहले ट्रेनिंग कैंप की एक सैटेलाइट इमेज लीक हो गई थी, जिसमें ताइवान के राष्ट्रपति भवन से मिलती-जुलती इमारत दिख रही थी.
अपनी सीमा से सटे लगभग सभी देशों से चीन का तनाव चला आ रहा है, ताइवान इसमें सबसे ऊपर है. हाल में इस देश ने आरोप लगाया कि चीनी लड़ाकू विमान उसकी सीमा के भीतर घुस आए. ये आरोप पहली बार नहीं. अप्रैल में भी तााइवान ने इसपर नाराजगी जताई थी. चीन अपने बॉर्डर फैलाने को लेकर काफी आक्रामक रहा है. यहां तक पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक रोज असली लड़ाई की नकली प्रैक्टिस करते रहते हैं ताकि वाकई में जंग छिड़ जाए तो चीनी सैनिक कम न पड़ें.
कैसा है नकली जंग का मैदान ये इनर मंगोलिया ऑटोनॉमस रीजन में है, जिसे पीपल्स लिबरेशन आर्मी का सबसे बड़ा ट्रेनिंग कैंप माना जाता है. करीब 1,066 स्क्वैयर किलोमीटर में फैला ये एरिया हांगकांग जितना बड़ा है. इसे जुरिहे ट्रेनिंग बेस भी कहा जाता है. वैसे तो साल 1957 में इसे टैंक ट्रेनिंग बेस की तरह तैयार किया गया, लेकिन फिर चीनी अधिकारियों ने तय किया कि भीतर की तरफ होने के कारण ये ट्रेनिंग सेंटर हर तरह की लड़ाई की ड्रिल के लिए सबसे सही जगह है. इसके बाद इसे हाई-टेक युद्ध के मैदान की तरह डेवलप किया गया.
पहाड़-मैदान सबकुछ है यहां पर
यहां मैदानों में ही सैनिक नहीं लड़ते, बल्कि पहाड़ों और रेतीले इलाकों में भी लड़ाई की प्रैक्टिस चलती रहती है. अलग-अलग जगहों और अलग-अलग तरीकों से लड़ाई की प्रैक्टिस के पीछे चीन का साफ इरादा है कि दुनिया के मुश्किल से मुश्किल इलाके में भी उनके सैनिक लड़ने के लिए ट्रेंड रहें.
ताइवान के राष्ट्रपति भवन की नकल

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