
'घर, व्यवसाय, संपत्ति सब पीछे छूटा...अंधकार में भविष्य', मुश्किल में क्यों हैं पाकिस्तान में बसे 17 लाख अफगान शरणार्थी?
AajTak
हजारों अफगानी, मुख्य रूप से वे जो 1978 में सोवियत संघ के आक्रमण के बाद शरणार्थी के रूप में पाकिस्तान आए थे, उन्होंने दशकों से यहां के सभी प्रमुख शहरों में व्यापार और काम किया है. सिंध प्रांत में कराची और बलूचिस्तान प्रांत में क्वेटा शहर उनके प्रमुख केंद्र हैं.
पाकिस्तान ने अपने यहां रह रहे अफगानिस्तानी शरणार्थियों को 31 दिसंबर तक देश से चले जाने का फरमान सुनाया है. तकरीबन 17 लाख अफगानी पाकिस्तान में रह रहे थे और पिछले दो महीनों में लगभग 4 लाख अफगान शरणार्थी अफगानिस्तान निर्वासित किए गए हैं. बलूचिस्तान प्रांत के सूचना मंत्री जान अचकजई ने यह जानकारी दी. उधर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार ने भी अपने यहां रह रहे हजारों अफगानी लोगों को उनके देश भेजने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू करने का फैसला लिया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने ऐसे ही कुछ अफगान शरणार्थियों से बातचीत की है. हाजी मुबारक शिनवारी 1982 में अपने पांच बेटों और दो भाइयों के साथ पाकिस्तान आए थे. उन्होंने कड़ी मेहनत से कपड़े, ट्रांसपोर्ट और लोन प्रोवाइडर सर्विस का व्यवसाय खड़ा किया. वह अब कराची के बाहरी इलाके अल-आसिफ स्क्वायर में कई संपत्तियों के मालिक हैं. शिनवारी ने कहा, 'हम इतने सालों से यहां बिना दस्तावेजों के रह रहे हैं और स्थानीय लोगों की मदद से अपना कारोबार स्थापित किया है.'
अल-आसिफ स्क्वायर अफगान शरणार्थियों का सबसे बड़ा केंद्र
हाजी मुबारक शिनवारी अकेले नहीं हैं. कराची शहर के उत्तर में बमुश्किल कुछ किलोमीटर की दूरी पर अल-आसिफ स्क्वायर है, जो अपनी विशाल अफगान आबादी के लिए जाना जाता है. पास ही अफगानी मजदूरों और छोटे व्यवसाय मालिकों की दो बड़ी बस्तियां हैं. अल-आसिफ स्क्वायर और इन बस्तियों का दौरा करने से यह आभास होता है कि आप मिनी काबुल में हैं, जहां अफगानी लोग अपनी कई दुकानों और विभिन्न रेस्तरांओं में अफगानी व्यंजन पेश करते हैं.
हजारों अफगानी, मुख्य रूप से वे जो 1978 में सोवियत संघ के आक्रमण के बाद शरणार्थी के रूप में पाकिस्तान आए थे, उन्होंने दशकों से यहां के सभी प्रमुख शहरों में व्यापार और काम किया है. सिंध प्रांत में कराची और बलूचिस्तान प्रांत में क्वेटा शहर उनके प्रमुख केंद्र हैं. कराची में अफगान वाणिज्य दूतावास के कानूनी सलाहकार सादिक उल्लाह काकर ने बताया कि पाकिस्तान में अधिकांश अफगान शरणार्थी निम्न मध्यम वर्ग के हैं.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.

देश की किफायत विमानन कंपनी इंडिगो का ऑपरेशनल संकट जारी है. इंडिगो को पायलट्स के लिए आए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को लागू करने में भारी दिक्कत आ रही है. इस बीच आज इंडिगो की 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो गई है, जिस पर कंपनी के सीईओ का पहला बयान सामने आया है. इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने इंडिगो ऑपरेशनल संकट पर पहली बार बयान देते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से विमानन कंपनी के कामकाज में दिक्कतें आ रही हैं. कंपनी का कामकाज पांच दिसंबर को सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. आज 100 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हुई हैं.

संसद के शीतकालीन सत्र में 8 और 9 दिसंबर 2025 को राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर दोनों सदनों में विशेष चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री इस चर्चा को संबोधित करेंगे. चर्चा का उद्देश्य वंदे मातरम् के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान प्रासंगिकता को उजागर करना है.

भारत-रूस बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निर्धारित किया है. राष्ट्रपति पुतिन के साथ चर्चा में यह स्पष्ट हुआ कि व्यापार लक्ष्य समय से पहले पूरा किया जाएगा. कई क्षेत्रों जैसे लॉजिस्टिक्स, कनेक्टिविटी, मरीन प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा, और टेक्सटाइल में सहयोग को आगे बढ़ाया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.







