गुजरात कैसे चली गई सेमीकंडक्टर फैक्ट्री? शिवसेना का फिर शिंदे सरकार पर निशाना
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वेदांता समूह और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र की दिग्गज फॉक्सकॉन ने गुजरात में सेमी कंडक्टर और डिस्प्ले एफएबी मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट खोलने का ऐलान किया है. कंपनी की इस घोषणा के बाद से ही महाराष्ट्र में राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है. विपक्षी पार्टियां ये सवाल उठा रही हैं कि जब पहले यह प्रोजेक्ट महाराष्ट्र में शुरू होने वाला था तो फिर अचानक गुजरात कैसे शिफ्ट हो गया?
वेदांता समूह और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र की दिग्गज फॉक्सकॉन के सेमी कंडक्टर और डिस्प्ले एफएबी मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट को महाराष्ट्र की जगह गुजरात में लगाए जाने के ऐलान पर सियासत नहीं थम रही है.
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष एकजुट होकर इस मामले पर शिंदे-फडणवीस सरकार को घेरने में लगा हुआ है. अब शिवसेना ने 'सामना' में संपादकीय लिखकर इस मसले पर सरकार को आड़े हाथों लिया.
सामना की संपादकीय में लिखा गया है कि महाराष्ट्र निवेशकों की पसंद का पहला क्रमांक का राज्य है. फिर भी वेदांता-फॉक्सकॉन जैसे बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र से खींचकर गुजरात ले जाने की खबर चौंकाने वाली है. पुणे के तलेगांव के पास 1100 एकड़ जमीन और दूसरी रियायतें इस उद्योग को देना महाविकास आघाड़ी सरकार ने स्वीकार किया था. यह परियोजना महाराष्ट्र में ही चालू होगी, ये वचन कंपनी ने दिया था.
जून तक इस कंपनी का मन नहीं बदला, लेकिन महाराष्ट्र में एक गैरकानूनी सरकार विराजमान होते ही लगभग एक लाख लोगों को रोजगार देने वाली यह परियोजना गुजरात की तरफ घुमा दी गई. यह महाराष्ट्र की साख पर बड़ा हमला है. मुख्यमंत्री शिंदे का हाल ही में पैठण का दौरा हुआ. उनके गुट के विधायक भुमरे की जिद को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री पैठण यात्रा पर गए. वहां एक मंडप में मुख्यमंत्री को पेड़े और लड्डू से तौलने की योजना थी. उसके लिए कई खोखे भरकर वहां मिठाई लाई गई थी.
शिंदे गुट का खोखे से संबंध जोड़ा जा रहा है फिर भी खोखे की मिठाई देखकर ‘तुला’ करने से मुख्यमंत्री ने इनकार कर दिया. उनके द्वारा मिठाई तुला करने से मना करते ही उस मंडप में जुटे लोग लड्डू-पेड़ों पर पूरी तरह से टूट पड़े. मुख्यमंत्री की आंखों के सामने ही लोग लड्डू-पेड़े ले भागे. ठीक इसी तरह की ‘लूटमार’ पद्धति से गुजरात ने महाराष्ट्र की वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना को उड़ा लिया है. इससे पहले मुंबई के अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केंद्र को इसी तरह गुजरात ले उड़ा था. अब फॉक्सकॉन हाथ से निकल गया है.
फॉक्सकॉन परियोजना गुजरात में चली गई, इसका ठीकरा मुख्यमंत्री शिंदे ने पहले की महाविकास आघाड़ी सरकार पर फोड़ा. वो कहते हैं, इस परियोजना को दो वर्ष में प्रतिसाद नहीं मिला होगा. फिर ये महोदय पिछले दो वर्ष उसी सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री थे. फिर दो वर्ष क्या केवल खोखों का भार ढोने में ये व्यस्त थे? इतनी बड़ी परियोजना को लेकर विलंब हो रहा है, इस मामले में उन्होंने मुख से कुछ भी कहा हो, इसका रिकॉर्ड किसी कैबिनेट की बैठक में नहीं है.
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