
'गुजरात के दो जज पहले से हैं, तीसरे भी...', कॉलेजियम की सिफारिश पर बी वी नागरत्ना ने दिया डिसेंट नोट
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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल एम. पंचोली को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश को लेकर गंभीर मतभेद उभरे हैं. कॉलेजियम के पांच सदस्यों में से एक जस्टिस बी.वी. नागरथना ने इस सिफारिश पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है. उन्होंने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट के पहले से दो जज मौजूद हैं, अब उनकी नियुक्ति से सुप्रीम कोर्ट में गुजरात के तीन जज हो जाएंगे, क्योंकि वह पटना से पहले गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल एम. पंचोली को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश को लेकर मतभेद उभरकर सामने आए हैं. कॉलेजियम के पांच सदस्यों में से एक जस्टिस बी वी नागरत्ना ने इस सिफारिश पर असहमति जताई है.
उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही गुजरात हाईकोर्ट से दो जज, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस एन.वी. अंजरिया मौजूद हैं और तीसरे जज की नियुक्ति से क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ सकता है. इस असहमति के कारण जस्टिस पंचोली की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति का मामला अनिश्चितता के घेरे में आ गया है.
कॉलेजियम ने की पंचोली की नियुक्ति की सिफारिश
वहीं, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाल ही में पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल एम. पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश की. इस पर कोलेजियम के एक सदस्य ने अपनी असहमति जताई है. उनका कहा है कि ये न्याय प्रशासन के लिए समुचित कदम नहीं होगा और इससे गलत परंपरा की नींव पड़ेगी. हालांकि, कॉलेजियम ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आलोक अराधे और पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल एम. पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश सरकार को भेज दी है. ये सिफारिश सुप्रीम कोर्ट में दो रिक्तियों को भरने के लिए की गई थी, ताकि कोर्ट अपनी पूर्ण स्वीकृत संख्या 34 जजों के साथ कार्य कर सके.
बीवी नागरत्ना ने दिया डिसेंट नोट
सूत्रों की माने तो बहुमत के इस निर्णय पर जस्टिस बी वी नागरत्ना ने कड़ा असहमति नोट दर्ज किया है. उन्होंने अपने असहमति नोट में लिखा कि जस्टिस पंचोली की नियुक्ति न सिर्फ न्याय प्रशासन के लिए ‘उल्टा असर’ करेगी, बल्कि कॉलेजियम सिस्टम की विश्वसनीयता भी सवालों के कटघरे में होगी.

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