
क्या आनंद मोहन को फिर जाना पड़ सकता है जेल? पटना हाई कोर्ट में दायर हुई याचिका
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बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह भले ही जेल से रिहा हो गए हैं, लेकिन उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. उनकी रिहाई को लेकर जेल नियमों में हुए बदलाव के खिलाफ बुधवार को पटना हाईकोर्ट में एक सामाजिक कार्यकर्ता अमर ज्योति ने याचिका दायर की है.
बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह और उनके परिवार का इंतजार आखिरकार आज खत्म हो गया. आनंद मोहन गुरुवार सुबह जेल से रिहा हो गए लेकिन रिहाई के साथ ही आनंद मोहन की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं. दरअसल आईएएस जी. कृष्णैया की हत्या के दोषी आनंद मोहन की रिहाई सरकार के जिस फैसले के कारण संभव हो पाई है, अब उसी फैसले को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. बुधवार को पटना हाईकोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका की वजह से आनंद मोहन बड़ी मुश्किल में पड़ सकते हैं.
पटना हाईकोर्ट में दायर इस जनहित याचिका में सरकार की तरफ से जेल मैनुअल में किए गए बदलाव को निरस्त करने की मांग की गई है. कोर्ट से यह मांग की गई है कि वह सरकार की तरफ से जेल मैनुअल में किए गए संशोधन पर रोक लगाए. इस बदलाव को याचिकाकर्ता ने गैरकानूनी बताया है. याचिकाकर्ता ने यह कहा है कि बीते 10 अप्रैल को जिस तरह जेल मैनुअल में बदलाव करते हुए सरकारी सेवक की हत्या वाले हिस्से को हटाया गया वह गैरकानूनी है. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि सरकार के इस फैसले से सरकारी सेवकों का मनोबल गिरेगा.
याचिका में बिहार सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई है. बीते 10 अप्रैल की बिहार कारागार नियमावली, 2012 के नियम 481(i)(क) में संशोधन करते हुए “ड्यूटी पर तैनात लोक सेवक की हत्या” वाक्य को हटाया गया था, इसी के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता अमर ज्योति एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, याचिकाकर्ता की वकील अलका वर्मा हैं।
आनंद मोहन को जी कृष्णैया हत्याकांड में निचली अदालत ने 3 अक्टूबर 2007 को फांसी की सजा सुनाई थी, हालांकि बाद में 10 दिसंबर 2008 को पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को उम्र कैद में बदल दिया. 10 जुलाई 2012 को आनंद मोहन ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही बताया था. अब आनंद मोहन परिहार के निर्णय के बाद जेल से बाहर आ चुके हैं और उनकी रिहाई में सबसे बड़ी समस्या रही जेल मैनुअल के अंदर सरकारी सेवकों की हत्या से जुड़े नियम को सरकार में बदल दिया था. आनंद मोहन की रिहाई के पहले ही मामला पटना हाईकोर्ट पहुंच चुका है और इसका सीधा असर आनंद मोहन के आने वाले भविष्य पर पड़ेगा.
इस बीच आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार सरकार की सफाई आई है.मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि आनंद मोहन को कोई विशेष छूट नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई नियमों के मुताबिक ही हुई है.
आजीवन कारावास पाय हुए बंदियों को कारा मुक्त करने के संबंध में सुबहानी ने कहा,'बिहार में नया जेल मैन्युल 2012 बनाया गया था उसमें लिखा हुआ है जो लोग आजीवन कारावास पाने वाले कैदियों को 14 साल जेल के अंदर बिताए हो परिहार समेत 20 वर्ष हो तो उसमें जो योग्य पाए जाने वाले कैदी को कारा मुक्त किया जाता है. पिछले 6 साल में इसी विषय पर 22 बैठक हुआ है जिसमे 10161बंदियों को छोड़ने का विचार किया गया, ऐसे 698 बंदियों को समय सीमा पर छोड़ा है.

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