कोरोना से दो-दो हाथ: भारत को बदलनी चाहिए वैक्सीनेशन पॉलिसी? बढ़ते केस के बीच एक्सपर्ट्स ने उठाई आवाज
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महाराष्ट्र से सामने आए कोरोना के मामले एक बार फिर देश को डरा रहे हैं. मौजूदा वक्त में देश में जितने भी नए मामले सामने आए हैं, उसमें से 60 फीसदी महाराष्ट्र से ही सामने आ रहे हैं. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या भारत को कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर अपनी नीति बदलने की जरूरत है?
भारत में कोरोना वैक्सीनेशन के अभियान को शुरू हुए दो महीने से अधिक हो गया है, सरकार की ओर से जारी ताजा रिसर्च में दावा किया गया है कि लोगों में वैक्सीन को लगवाने के लिए एक बेचैनी सी है. इस बेचैनी के बीच वैक्सीन को लेकर पैदा हो रहे खतरे के खत्म होने की उम्मीद है और साथ ही कोरोना के फिर से बढ़ते मामलों का डर भी. हालांकि, ताजा ट्रेंड की मानें तो अधिकतर लोग कोरोना की वैक्सीन लगवाना चाहते हैं. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या भारत को कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर अपनी नीति बदलने की जरूरत है?फिर डराने लगा है महाराष्ट्र? महाराष्ट्र से सामने आए कोरोना के मामले एक बार फिर देश को डरा रहे हैं. मौजूदा वक्त में देश में जितने भी नए मामले सामने आए हैं, उसमें से 60 फीसदी महाराष्ट्र से ही सामने आ रहे हैं. राज्य में अब कुछ जगहों पर लॉकडाउन लौटा है और डर है कि ये पूरे राज्य में लग सकता है. महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच कई चिंताएं हैं, जिनमें कोरोना के नए वैरियंट, लोगों की लापरवाही जैसे कई बड़े कारण सामने आए हैं.क्या बदलाव करने की जरूरत? इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के डायरेक्टर दिलीप मावलनकर के मुताबिक, भारत को अपनी कोरोना वैक्सीनेशन की नीति बदलने की जरूरत है, क्योंकि अगर इस रफ्तार से आगे बढ़े तो पूरे देश में हर्ड इम्युनिटी लाने में लंबा वक्त लग सकता है. नीति में बदलाव करके फोकस इलाके या शहर को टारगेट कर जल्द से जल्द वैक्सीनेशन के काम को आगे बढ़ाना चाहिए. वहीं, एम्स के डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि हमारे पास इतनी पर्याप्त वैक्सीन नहीं हैं जिससे जुलाई तक लोगों को डोज दी जा सके. ऐसे में इस बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में वैक्सीन के निर्माण की रफ्तार को भी बढ़ाना होगा. बता दें कि सरकार की ओर से जो टारगेट रखा गया है, उसके मुताबिक मौजूदा चरण में करीब 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगनी है जिसके लिए 60 करोड़ डोज़ की जरूरत होगी. अभी तक भारत में कुल दो ही वैक्सीन को मंजूरी मिली हैं. कोविशील्ड, कोवैक्सीन का देश में इस्तेमाल हो रहा है और रूस की स्पुतनिक-वी को जल्द मंजूरी मिलने के आसार हैं. दिल्ली नेफ्रोन क्लिनिक के डॉ. संजीव का कहना कि अब वक्त आ गया है कि वैक्सीनेशन को अनलॉक कर दिया जाए, कोरोना की नई वेव जिस तेजी से बढ़ रही है उस हिसाब से मौजूदा स्पीड को चार-पांच गुना बढ़ाने की जरूरत है. इतना ही नहीं, एक्सपर्ट का मानना है कि अब जिन देशों में केसों में अचानक बढ़ोतरी हो रही है, वहां पर मिशन मोड में हर व्यक्ति को वैक्सीन दी जानी चाहिए, जिनमें महाराष्ट्र के कई शहर शामिल हो सकते हैं. कैसा चल रहा है वैक्सीनेशन का अभियान? आपको बता दें कि मौजूदा वक्त में भारत में करीब 40 हजार सेंटर्स पर वैक्सीनेशन का अभियान चल रहा है. सोमवार तक देश में 4.5 करोड़ से अधिक कोरोना वैक्सीन की डोज़ दी जा चुकी हैं, करीब 75 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज़ मिल गई हैं. अभी तक भारत ने एक दिन में सर्वाधिक 30 लाख वैक्सीन की डोज़ देने का काम किया है. बीते दिन सरकार ने वैक्सीनेशन को लेकर एक अहम निर्देश दिया, जिसमें कोविशील्ड वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज़ के बीच के वक्त को एक महीने से बढ़ाकर दो महीने करने को कहा गया है. बता दें कि वैक्सीनेशन के अभियान से इतर भारत में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, जो कि चिंता का मुख्य विषय हैं.हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल आठ महीने के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई थी. इस घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. हालांकि बाद में आरोपी को फिर से कस्टडी में लेकर जुवेनाइल सेंटर भेज दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.