कोरोना: शहरों की तुलना में गांवों में मृत्यु दर ढाई गुना, पंजाब-हरियाणा में बढ़ाई जाएगी टेस्टिंग
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उत्तर प्रदेश और बिहार के कई गांवों से डराने वाली खबरें सुनने को मिल रही हैं, इसके बाद पंजाब और हरियाणा के गांवों में भी स्थिति बिगड़ती हुई नज़र आ रही है. लगातार बढ़ते मामलों के बीच अब पंजाब, हरियाणा ने गांवों में टेस्टिंग को तेजी से बढ़ाने का फैसला किया है.
कोरोना संकट ने अब देश के ग्रामीण इलाकों में पैर पसारना शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश और बिहार के कई गांवों से डराने वाली खबरें सुनने को मिल रही हैं, इसके बाद पंजाब और हरियाणा के गांवों में भी स्थिति बिगड़ती हुई नज़र आ रही है. लगातार बढ़ते मामलों के बीच अब पंजाब, हरियाणा ने गांवों में टेस्टिंग को तेजी से बढ़ाने का फैसला किया है. पंजाब सरकार के डाटा के मुताबिक, राज्य के ग्रामीण इलाके में कोरोना संक्रमण से मृत्यु दर 2.7 फीसदी है, जबकि शहरी इलाकों में ये आंकड़ा एक फीसदी से भी कम है. पंजाब के मालवा इलाके में सबसे अधिक कोविड के केस सामने आए हैं. पंजाब के गांवों में अब लोगों का सैंपल लेना शुरू किया जाएगा, साथ ही जिन लोगों में कुछ भी लक्षण हैं उनके परिवारवालों की भी टेस्टिंग की जाएगी. गांवों में मौतों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण सेल्फ आइसोलेशन में देरी और इलाज में लापरवाही है. गांवों में लोग अधिकतर खुद ही बुखार की दवाई खा रहे हैं, बल्कि टेस्टिंग से बच रहे हैं. हरियाणा में बड़े स्तर पर हो रही तैयारी पंजाब से सटे हरियाणा के गांवों में भी कोरोना का संकट बढ़ रहा है. ऐसे में राज्य सरकार ने 8000 छोटी टीमों का गठन किया है, जो राज्य के गांवों में स्क्रीनिंग के अभियान को तेज़ी से बढ़ाएगी. जिन गांवों में संकट बढ़ता दिख रहा है, वहां 15 मई से आइसोलेशन सेंटर्स की शुरुआत करने को कहा गया है. हरियाणा सरकार के मुताबिक, राज्य के गांवों में अभी 1000 आइसोलेशन सेंटर्स की व्यवस्था की जाएगी. जबकि हरियाणा रोडवेज़ की 110 बसों को मिनी एम्बुलेंस में तब्दील किया जा रहा है.ग्रामीण इलाकों में कोरोना की एंट्री से हाहाकार गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर ने बड़े शहरों की स्वास्थ्य व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है. ऐसे में एक्सपर्ट्स की ओर से पहले ही चेतावनी दी जा रही थी कि अब गांवों को सुरक्षित रखना होगा. लेकिन कई गांवों में भी बुखार, सर्दी, जुकाम से लोगों को परेशानी हो रही है और इलाज ना होने के चक्कर में लोग अपनी जान गंवा दे रहे हैं.नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
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