
'काम सुधारो या कंपनी छोड़ो...' BSNL कर्मचारियों को दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव की दो-टूक
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केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से BSNL के अधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी, इसमें एक ऑडियो लीक हो गया है, जिसमें वैष्णव घाटे में चल रही इस टेलीकॉम ऑपरेटर कंपनी के 62 हजार अधिकारियों और कर्मचारियों की फौज को खरी खरी सुना रहे हैं. वैष्णव ने इसी हफ्ते क्रोनिक रूप से बीमार कम्पनी बीएसएनएल को ताकत देने के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया है.
केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव अब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की राह पर चल रहे हैं. उन्होंने अपने मंत्रालय के पब्लिक सेक्टर क्षेत्र के संस्थान भारत संचार निगम लिमिटेड यानी BSNL के अधिकारियों के साथ पहली बैठक में दो टूक कह दिया करो या मरो. या तो काम करके दिखाओ नहीं तो फिर स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लें, लेकिन सरकारी कंपनी का पिंड छोड़ें.
मीटिंग का एक ऑडियो लीक हो गया है, जिसमें वैष्णव घाटे में चल रही इस टेलीकॉम ऑपरेटर कंपनी के 62 हजार अधिकारियों और कर्मचारियों की फौज को खरी खरी सुना रहे हैं. वैष्णव ने इसी हफ्ते क्रोनिक रूप से बीमार कम्पनी बीएसएनएल को ताकत देने के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया है. इसमें बीएसएनएल के साथ भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड के अधिकारियों से साफ शब्दों में कह दिया कि हर महीने प्रगति का ऑडिट होगा. जहां से सही रिपोर्ट नहीं आएगी उनकी जवाबदेही तय होगी. जो काम नहीं कर सकते वो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर आराम से घर बैठ सकते हैं. अगर वो ऐसा नहीं करेंगे तो उनका रेलवे की तरह जबरन रिटायरमेंट किया जाएगा.
सरकार ने अपना काम पूरा किया: अश्विनी वैष्णव
वैष्णव ने कहा कि इतना बड़ा पैकेज देकर सरकार ने वही किया जितना वो कर सकती है. दुनिया में किसी सरकार ने इतना बड़ा जोखिम नहीं लिया है जितना 1 लाख 64 हजार करोड़ रुपए का पैकेज देकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लिया है. अब बारी आपकी है जी जान लगाने की ताकि विभाग को कम दिखे और जनता को सुविधा मिलें. इसमें कोई कोताही सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी. हमें दो साल में नतीजे चाहिए.
बीएसएनएल और बीबीएनएल के विलय के साथ ही नए वेंचर को बीएसएनएल के 6 लाख 83 हजार किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल के अतिरिक्त बीबीएनएल के भी पांच लाख 68 हजार किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल भी अतिरिक्त मिल रहा है. ये ऑप्टिकल फाइबर केबल एक लाख 45 हजार गांवों में सरकार की डिजिटल इंडिया नीति के तहत बिछाया जा चुका है. नए संस्थान को सिर्फ सेवाओं का विस्तार करना है. सुविधा के साथ सेवा विस्तार भी होना जरूरी है वरना तो हमें आपकी सेवा में रुकावट के लिए खेद ही जताना पड़ेगा.

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