
औरंगजेब के बाद राणा सांगा पर क्यों मचा सियासी घमासान? देखें
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21वीं सदी के भारत में मध्यकालीन शासकों पर छिड़ी राजनीतिक बहस. औरंगजेब और राणासांगा के इतिहास पर विवाद गहरा गया है. आरएसएस ने औरंगजेब पर किया कटाक्ष, तो समाजवादी पार्टी ने राणासांगा पर की आपत्तिजनक टिप्पणी. इतिहास के नायक और खलनायक पर उठे सवाल. देखें...

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों की कार्रवाई जारी है. त्राल और बिजबहारा में दो आतंकियों के घर तबाह कर दिए गए हैं. बताया जा रहा है कि ये स्थानीय हाइब्रिड आतंकी हो सकते थे. वहीं, कठुआ में चार संदिग्ध दिखने के बाद इलाके में सघन तलाशी अभियान चल रहा है. इसके अतिरिक्त, बांदीपुरा में सुरक्षाबलों ने लश्कर आतंकी अल्ताफ लाली को ढेर कर दिया है.

पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में गम और आक्रोश है. लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने श्रीनगर में घायलों से मुलाकात की और कहा कि पूरा देश एकजुट है और आतंकवाद के खिलाफ़ सरकार के हर फैसले के साथ है. समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम और शिवसेना यूबीटी ने सुरक्षा और इंटेलिजेंस चूक पर सवाल उठाए, जिसे सर्वदलीय बैठक के बाद सरकार ने भी माना.

पहलगाम हमले के बाद भारत की तीनों सेनाएं शक्ति प्रदर्शन कर रही हैं, जिससे पाकिस्तान में हड़कंप है. सेना की सप्तशक्ति कमांड ने वायुसेना के साथ हेलिबोर्न ऑपरेशन का अभ्यास किया, जिसमें सैनिकों को तेजी से युद्ध क्षेत्र में उतारने की रणनीति परखी गई. वहीं, वायुसेना ने मध्य क्षेत्र में 'ऑपरेशन आक्रमण' में राफेल और सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को शामिल किया.

जौनपुर की रहने वाली महिला पर्यटक ने दावा किया है कि पहलगाम हमले से पहले 20 अप्रैल को स्केच में दिख रहे एक संदिग्ध ने उन्हें खच्चर की सवारी कराई थी. महिला पर्यटक के मुताबिक, बातचीत में उन्होंने हथियार, ब्रेक फेल और प्लान A-B का जिक्र किया. महिला पर्यटक ने धर्म संबंधी सवाल और संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को देने की बात कही है.

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के एक कथित बयान का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया कि '30 दिन में हम लोग सपोर्ट कर रहे थे'. चर्चा में कहा गया कि पाकिस्तान में दाऊद इब्राहिम, हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकी आज भी मौजूद हैं, जिन पर कार्रवाई नहीं होती और उच्च पदों पर बैठे लोग उन्हें कथित तौर पर बचाते हैं.

शिमला समझौते के तहत माना गया था कि पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को इंटरनेशनल मंच पर नहीं ले जाएगा. भारत पहले से ही आपसी बातचीत के पक्ष में था. अब खुद इस्लामाबाद ये संधि तोड़ चुका. तय है कि वो जल्द ही यूएन के सामने विक्टिम कार्ड खेलेगा और कश्मीर पर अपना राग अलापेगा. लेकिन क्या इससे हमपर कोई डिप्लोमेटिक दबाव बन सकता है?