
एक देश, एक चार्जर! भारत में भी लागू हो सकता है ये नियम, क्या होगा बदलाव?
AajTak
Common Charger Regulation: भारत में भी यूरोपीय यूनियन की तरह ही कॉमन चार्जिंग पोर्ट का नियम लागू किया जा सकता है. हालांकि, इस बारे में सरकार ने अभी तक कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है, लेकिन कई रिपोर्ट्स में इसका दावा किया जा रहा है. रिपोर्ट्स की मानें, तो सरकार सभी स्मार्टफोन्स और टैबलेट के लिए एक ही चार्जिंग पोर्ट का नियम लागू करने पर विचार कर रही है.
यूरोपीय यूनियन की तरह ही भारत में भी एक चार्जर का नियम लागू किया जा सकता है. रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार कॉमन चार्जिंग पोर्ट का नियम लागू करने पर विचार कर रही है. इस नियम के लागू होने के बाद सभी स्मार्टफोन्स और टैबलेट के लिए एक ही चार्जिंग पोर्ट जरूरी होगा.
सरकार Type-C चार्जिंग पोर्ट को कॉमन बना सकती है. साल 2022 में यूरोपीय यूनियन ने ये नियम पास किया था, जिसके बाद ऐपल को भी iPhone में टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट देना पड़ा था. इस साल के अंत तक सरकार इस पर कोई ऐलान कर सकती है.
ई-वेस्ट को कम करने की दिशा में सरकार ये कदम उठा रही है. इस नियम के बाद यूजर्स अपने स्मार्टफोन और टैबलेट सभी को एक ही चार्जर से चार्ज कर पाएंगे. रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार Type-C चार्जिंग पोर्ट को ही लैपटॉप्स के लिए भी आने वाले दिनों में अनिवार्य कर सकती है.
यह भी पढ़ें: Samsung Galaxy M55 5G Review: कैमरा और डिस्प्ले दमदार, चार्जर के साथ होता बेस्ट ऑप्शन
मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी चाहती है कि मैन्युफैक्चर्र्स टैबलेट, स्मार्टफोन और लैपटॉप तीनों के लिए एक ही चार्जिंग पोर्ट का इस्तेमाल करें. ये नियम 2026 में लैपटॉप्स के लिए लागू होगा, जबकि स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए जून 2025 में लागू किया जा सकता है.
वियरेबल डिवाइसेस और फीचर फोन्स को इस लिस्ट में शामिल नहीं किया जा सकता है. इससे पहले साल 2022 में सरकार ने इस पर विचार करना शुरू किया था. उस वक्त एक देश एक चार्जर को लेकर मीटिंग भी हुई थी. जल्द ही भारत अपने नए नियम का ऐलान कर सकता है. हालांकि, इसकी कोई तय तारीख सामने नहीं आई है.

भारत और यूरोप के वर्क कल्चर में फर्क को जर्मनी में काम कर रहे भारतीय इंजीनियर कौस्तव बनर्जी ने 'जमीन-आसमान का अंतर] बताया है. उनके मुताबिक, भारत में काम का मतलब अक्सर सिर्फ लगातार दबाव, लंबे घंटे और बिना रुके डिलीवरी से जुड़ा होता है, जबकि जर्मनी और यूरोप में काम के साथ-साथ इंसान की जिंदगी को भी बराबर अहमियत दी जाती है.

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo का संचालन शनिवार को भी पटरी पर नहीं लौट सका. संकट अब पांचवें दिन में पहुंच गया है और दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु व चेन्नई एयरपोर्ट पर यात्री रातभर अपने उड़ानों का इंतजार करते नजर आए. पिछले चार दिनों में एयरलाइन को 2,000 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं, जिससे करीब तीन लाख से ज्यादा यात्रियों की यात्रा योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.











