
इलेक्टोरल बॉन्ड: किसी ने 3 दलों में बांटा तो किसी ने 9 को किया खुश, क्या संकेत देते हैं चुनावी चंदे के ये पैटर्न?
AajTak
इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट में कई प्रमुख कॉरपोरेट्स की अनुपस्थिति और इस सूची में अपेक्षाकृत निष्क्रिय और घाटे में चल रही कंपनियों की उपस्थिति से बहुत सारे प्रश्न खड़े होते हैं.
भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी नवीनतम चुनावी बॉन्ड डेटा से पता चलता है कि लगभग 1,300 संस्थाओं ने 12,000 करोड़ रुपये से अधिक के बॉन्ड खरीदे, जिन्हें बाद में 23 राजनीतिक दलों के बीच वितरित किया गया. इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट ने इलेक्टारेल बॉन्ड के डेटा का विश्लेषण किया, जिसमें पता चला कि शीर्ष 20 संस्थाओं और समूहों ने 14 राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए कुल बॉन्ड में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया. सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय जनता पार्टी, उसके बाद तृणमूल कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भुनाया.
उदाहरण के लिए, क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड जो कि रिलायंस से जुड़ी हुई कंपनी है, इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों की सूची में चौथी सबसे बड़ी डोनर रही. उसने कुल 410 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा सिर्फ तीन पार्टियों को दिया. भाजपा को 375 करोड़ रुपये या 91.4 प्रतिशत का बड़ा हिस्सा मिला, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना को शेष हिस्सा मिला. इसके विपरीत, दूसरे सबसे बड़े दानकर्ता, मेघा इंजीनियरिंग और इसकी सहायक कंपनी वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन ने 9 राजनीतिक दलों को चंदा दिया.
मेघा इंजीनियरिंग बीजेपी की शीर्ष दानदाता रही. उसने कुल 1,186 करोड़ रुपये में से 664 करोड़ रुपये का चंदा भाजपा को दिया. दूसरी ओर, शीर्ष इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदार फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने 1300 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने के बावजूद, अपने आवंटन का अधिकांश हिस्सा केवल चार राजनीतिक दलों तक सीमित रखा, जिसमें टीएमसी को सबसे अधिक 542 करोड़ रुपये और डीएमके को 503 करोड़ रुपये मिले.
कोलकाता स्थित एमकेजे ग्रुप और उससे जुड़ी कंपनियां कांग्रेस पार्टी के लिए शीर्ष योगदानकर्ता रहीं. समूह ने लगभग नौ पार्टियों को चंदा दिया, जिसमें भाजपा ने लगभग 350 करोड़ रुपये के साथ शीर्ष पर रही. भाजपा को 7,488 संस्थाओं ने चुनावी चंदा दिया. ममता बनर्जी की टीएमसी को 3,269 दानकर्ताओं ने चुनावी फंड दिया. कांग्रेस को 2,908 संस्थाओं से चंदा मिला, जबकि DMK को 641 संस्थाओं ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा दिया.
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अनुसार, व्यक्तिगत दानदाताओं द्वारा 375 करोड़ रुपये से अधिक के बॉन्ड खरीदे गए. इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट में कई प्रमुख कॉरपोरेट्स की अनुपस्थिति और इस सूची में अपेक्षाकृत निष्क्रिय और घाटे में चल रही कंपनियों की उपस्थिति से बहुत सारे प्रश्न खड़े होते हैं. हैदराबाद स्थित कारोबारी पी सरथ चंद्र रेड्डी की कंपनी अरबिंदो फार्मा और उसकी सहायक कंपनी ने भारत राष्ट्र समिति को 15 करोड़ रुपये, तेलुगु देशम पार्टी को 2.5 करोड़ रुपये और भाजपा को 44.5 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जिसमें से 35 करोड़ रुपये नवंबर 2023 में आए. यह कंपनी दिल्ली शराब घोटाले से जुड़ी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को रूसी भाषा में भगवद गीता का एक विशेष संस्करण भेंट किया है. इससे पहले, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति को भी गीता का संस्करण दिया जा चुका है. यह भेंट भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को साझा करने का प्रतीक है, जो विश्व के नेताओं के बीच मित्रता और सम्मान को दर्शाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कई अनोखे और खास तोहफे भेंट किए हैं. इनमें असम की प्रसिद्ध ब्लैक टी, सुंदर सिल्वर का टी सेट, सिल्वर होर्स, मार्बल से बना चेस सेट, कश्मीरी केसर और श्रीमद्भगवदगीता की रूसी भाषा में एक प्रति शामिल है. इन विशेष तोहफों के जरिए भारत और रूस के बीच गहरे संबंधों को दर्शाया गया है.

चीनी सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उन बयानों को प्रमुखता दी, जिनमें उन्होंने भारत और चीन को रूस का सबसे करीबी दोस्त बताया है. पुतिन ने कहा कि रूस को दोनों देशों के आपसी रिश्तों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं. चीन ने पुतिन की भारत यात्रा पर अब तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह नतीजों पर नजर रखे हुए है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार रात डिनर का आयोजन किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस डिनर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं दिया गया. इसके बावजूद कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को बुलाया गया.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.







