
इमिग्रेंट्स पर नाराजगी के बीच क्या पाकिस्तान ने निकाल लिया यूरोप जाने का नया रास्ता, कितना सुरक्षित है बेलारूस?
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एक तरफ तमाम ठंडे देश प्रवासियों को लेकर उबल-उबल रहे हैं, दूसरी तरफ यूरोप का एक देश बेलारूस पाकिस्तानियों का स्वागत कर रहा है. एक करार के तहत जल्द ही डेढ़ लाख के करीब पाक एक्सपर्ट इस्लामाबाद से भेजे जा सकते हैं. लेकिन बेलारूस खुद यूरोप के सबसे गरीब देशों में से है. तब क्यों पड़ोसी देश से लोग लगातार वहां जा रहे हैं?
इमिग्रेशन को लेकर पूरे पश्चिम में हल्ला मचा हुआ है. अमेरिका, जिसकी स्किल्ड आबादी का बड़ा हिस्सा भारतीयों से बना है, वो तक अप्रवासी भारतीयों के रास्ते में रोड़ा अटका रहा है. यूरोप वैसे ही नो-टू-इमिग्रेंट्स की तख्ती लगाए हुए है. इन सबके बीच यूरोप के सबसे गरीब देशों में से एक बेलारूस उन्हें अपना रहा है. वो भी किसी और देश से नहीं, बल्कि पाकिस्तान से. जानिए, एक गरीब मुल्क से दूसरे गरीब क्षेत्र में क्यों हो रहा है ये पलायन.
पाकिस्तानी आबादी के सामने क्या समस्या है 25 करोड़ से कुछ ज्यादा आबादी वाले देश में दशकों से आर्थिक उथल-पुथल मची हुई है. राजनीतिक अस्थिरता भी यहां नई चीज नहीं. डेटा कहते हैं कि देश में 30 फीसदी से ज्यादा ग्रेजुएट बेरोजगार बैठे हैं.
दूसरी तरफ है बेलारूस. भले ही ये यूरोप के सबसे गरीब देशों में हो, लेकिन इसे कामगारों की जरूरत है. दरअसल यहां की जनसंख्या एक करोड़ से भी कम रह गई है. मौजूदा सरकार के विरोध में लोग लगातार देश छोड़ रहे और यूरोप के दूसरे हिस्सों में माइग्रेट कर रहे हैं.
एक को लोगों की जरूरत है, तो दूसरे को काम की. पाकिस्तान की छवि यूरोप में खास अच्छी नहीं. ऐसे में बेलारूस एक अच्छा ऑप्शन है. वो पाकिस्तानियों को अपना रहा है. इसकी शुरुआत साल 2025 में हुई थी, जब पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ बेलारूस की राजधानी मिन्स्क पहुंचे. इसके तुरंत बाद मिन्स्क प्रशासन ने एलान किया कि इस्लामाबाद जल्द ही एक से डेढ़ लाख एक्सपर्ट्स को उनके यहां भेज सकता है. माना जा रहा है कि तकनीक, मेन्युफेक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन के लिए स्किल्ड और अनस्किल्ड लोग भेजे जा सकते है. इसकी शुरुआत भी हो चुकी है.
लेकिन पाकिस्तानियों की बेलारूस में क्या दिलचस्पी इस्लामाबाद खुद कई परेशानियों में फंसा हुआ है. ऐसे में खाली बैठी युवा आबादी भड़क न जाए, इसके लिए माइग्रेशन एक अच्छा विकल्प है. दूसरा- बेलारूस भले ही बाकी यूरोपीय देशों की तुलना में गरीब हो, लेकिन तब भी पाकिस्तान की औसत कमाई से वो कहीं आगे है. पाकिस्तानियों की औसत मासिक कमाई तीन सौ डॉलर से कम है, वहीं मिन्स्क में ये बढ़कर तीन गुना हो जाती है.
हालांकि ये अकेली वजह नहीं. बेलारूस की भौगोलिक स्थिति अपने-आप में बड़ा अट्रेक्शन है. ये पांच देशों से घिरा हुआ है- यूक्रेन, पोलैंड, रूस, लातविया और लिथुआनिया. एक बार यूरोप में प्रवेश कर गए तो वहां से इंटरनल माइग्रेशन आसान हो सकता है. जैसे बहुत से लोग बेलारूस की सीमा पार करके पोलैंड या यूक्रेन की तरफ जा सकते हैं. ये देश अमीर भी हैं और यूरोपियन यूनियन के सदस्य भी हैं. कड़ी इंटरनेशनल पॉलिसी के चलते यहां से निकाला जाना भी आसान नहीं. यही वजह है कि पाकिस्तान ही नहीं, कई और एशियाई देशों से लोग बेलारूस जा रहे हैं. यहां वीजा पाना भी आसान है, और थोड़े वक्त बाद निकलकर कहीं और जा सकना भी.

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