
आस्था के महाकुंभ का भव्य शुभारंभ कल, पहले शाही स्नान में लाखों श्रद्धालु लगाएंगे डुबकी
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महाकुंभ की शुरुआत सोमवार को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होगी, जो प्रयागराज में संगम पर एक महीने के 'कल्पवास' की शुरुआत का प्रतीक है. एक तरफ जहां लाखों श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगाएंगे तो वहीं बड़ी संख्या में लोग संगम किनारे कल्पवास की प्राचीन परंपरा का भी पालन करेंगे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'कल्पवास के दौरान श्रद्धालु संगम पर एक महीने तक समर्पण और अनुशासन के साथ रहते हैं. वे गंगा में तीन बार पवित्र डुबकी लगाते हैं, जप, ध्यान, पूजा-अर्चना करते हैं और प्रवचनों में भाग लेते हैं. अनुमान है कि महाकुंभ 2025 के दौरान करीब 10 लाख श्रद्धालु कल्पवास करेंगे.'
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सोमवार से महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है. भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और आस्था का प्रतीक यह मेला हर 12 वर्ष पर आयोजित होता है. महाकुंभ भारत की पौराणिक परम्पराओं और आध्यात्मिक विरासत का उत्सव है. हर 12 वर्ष पर प्रयागराज में संगम के किनारे महाकुंभ का आयोजन होता है, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन होता है. महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी, 2025 से शुरू होकर, 26 फरवरी तक चलेगा.
महाकुंभ मानवता का दुनिया में सबसे बड़ा समागम होगा, जिसका आयोजन 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाएगा. कुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं के साथ-साथ लाखों की संख्या में साधु-संत भी पहुंचते हैं जिसकी खास तैयारी की जाती है. इस बार महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. न सिर्फ पूरे देश बल्कि दुनियाभर से आने वाले श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाएंगे. कुंभ मेले में बाबाओं के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. कोई पेशवाई में अपने अनूठे करतब से अभिभूत कर रहा है तो कोई अपने अनूठे संकल्पों और प्रणों के कारण चर्चा में है.
पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होगा शुभारंभ
मान्यता है कि कुंभ के मेले में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है. समुद्र के मंथन से निकले अमृत को पाने के लिए देवताओं और राक्षसों में 12 वर्षों तक युद्ध चला. इस युद्ध के दौरान कलश में से जिन स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरीं वहां पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है. 12 वर्षों तक युद्ध चलने के कारण ही कुंभ हर 12 वर्ष में एक बार आता है. महाकुंभ के स्नान को शाही स्नान के नाम से जाना जाता है.
महाकुंभ की शुरुआत सोमवार को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होगी, जो प्रयागराज में संगम पर एक महीने के 'कल्पवास' की शुरुआत का प्रतीक है. एक तरफ जहां लाखों श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगाएंगे तो वहीं बड़ी संख्या में लोग संगम किनारे कल्पवास की प्राचीन परंपरा का भी पालन करेंगे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'कल्पवास के दौरान श्रद्धालु संगम पर एक महीने तक समर्पण और अनुशासन के साथ रहते हैं. वे गंगा में तीन बार पवित्र डुबकी लगाते हैं, जप, ध्यान, पूजा-अर्चना करते हैं और प्रवचनों में भाग लेते हैं. अनुमान है कि महाकुंभ 2025 के दौरान करीब 10 लाख श्रद्धालु कल्पवास करेंगे.'
पहले शाही स्नान का शुभ मुहूर्त

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