
आवारा कुत्तों पर 'सुप्रीम सख्ती'... क्या लागू हो सकता है US-यूरोप वाला फॉर्मूला? डॉग लवर्स की आपत्तियां कितनी वजनदार
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साल 2019 में पशुपालन मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में कुल 1 करोड़ 53 लाख से ज्यादा आवारा कुत्ते हैं. आवारा कुत्तों की संख्या के मामले में टॉप 5 राज्यों में यूपी, ओडिशा, महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक आते हैं. यूपी में तब सबसे ज्यादा 20 लाख 60 हजार के ज्यादा आवारा कुत्ते बताए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर के Stray Dogs यानी आवारा कुत्तों को लेकर एक बड़ा आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों को सभी आवारा कुत्तों को सड़क से हटाने के काम पर लगा दिया है और इस आदेश के बाद सोशल मीडिया पर हमारे देश के लोग दो वर्गों में बंट गए हैं. डॉग लवर्स का कहना है कि ये फैसला आवारा कुत्तों के प्रति क्रूरता है. लेकिन आवारा कुत्तों का शिकार बने लोग इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं. सबसे पहले तो ये जानने की जरूरत है कि सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर क्या निर्देश दिए हैं और इसकी जरूरत क्यों पड़ी? सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के हमलों, रेबीज़ के बढ़ते मामलों और उनसे होने वाली मौतों की वजह से 28 जुलाई को इसका स्वत: संज्ञान लिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद दिल्ली-एनसीआर के प्रशासनिक अधिकारियों से कहा है कि सड़क पर घूमने वाले सभी आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़ा जाए, उनकी नसबंदी की जाए और फिर उन्हें डॉग शेल्टर्स में रखा जाए. इसके लिए अधिकारियों को 8 हफ्ते यानी दो महीने का वक्त दिया गया है. इस दौरान स्थानीय नगर निगमों को डॉग शेल्टर्स भी बनाने होंगे और उनमें आवारा कुत्तों को रखना होगा. कोर्ट ने ये भी कहा कि हर दिन आवारा कुत्तों को पकड़ने का रिकॉर्ड मेंटेन किया जाए और कोई भी आवारा कुत्ता दोबारा सड़क पर ना छोड़ा जाए. कोर्ट ने स्थानीय निकायों से कहा है कि आवारा कुत्तों की शिकायत मिलने पर 4 घंटे के अंदर कार्रवाई होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से डॉग लवर्स काफी परेशान हैं, क्योंकि कोर्ट ने आवारा कुत्तों के खिलाफ होने वाली इस कार्रवाई का विरोध करने वालों पर भी एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं.
कुत्तों के हमलों के डराने वाले आंकड़े
सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से दिल्ली एनसीआर को आवारा कुत्तों से मुक्त बनाने का अभियान छेड़ने के लिए कहा है. अब सवाल ये है कि कोर्ट ने अचानक सुनवाई करके आवारा कुत्तों को हटाने के आदेश क्यों दिए. दरअसल पिछले कुछ वर्षों में आवारा कुत्तों में बढ़ते हमलों और रैबीज से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है. पिछले साल यानी साल 2024 में कुत्तों के काटने के 37 लाख 17 हजार 336 मामले सामने आए थे. इस मामलों में 54 लोगों की रेबीज की वजह से मौत हो गई थी.
इसी साल जनवरी में ही कुत्तों के काटने के 4 लाख 29 हजार मामले सामने आए हैं. राज्यों के हिसाब से देखें तो जनवरी में सबसे ज्यादा करीब 56 हजार मामले महाराष्ट्र में हुए, इसके बाद गुजरात में करीब 54 हजार, तमिलनाडु में करीब 49 हजार, कर्नाटक में 39 हजार और बिहार में करीब 34 हजार सामने आए हैं. इस लिस्ट में और भी राज्य हैं. कुत्तों के काटने के मामले इसलिए बढ़े हैं क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में आवारा कुत्तों की संख्या भी बहुत तेजी से बढ़ी है. कुत्तों की संख्या को लेकर पिछली आधिकारिक गणना साल 2019 में हुई थी.
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