
आनंद मोहन की रिहाई से महागठबंधन में रार? इस सहयोगी दल ने बिहार सरकार पर लगाया भेदभाव का आरोप
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आनंद मोहन के साथ 26 दोषियों की रिहाई का रास्ता साफ होने के बाद सीएम नीतीश कुमार अब नए विवाद में घिर सकते हैं. भाकपा माले ने नीतीश सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है और साथ ही 6 टाडा बंदियों की रिहाई की मांग दोहराई है. उन्होंने इसके लिए 28 अप्रैल को धरना प्रदर्शन करने का ऐलान किया है.
डीएम जी. कृष्णैया की हत्या मामले में दोषी रहे आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. इस रिहाई प्रकरण के बाद सीएम नीतीश कुमार अब एक बार फिर नए मामले में घिरते नजर आ रहे हैं. आनंद मोहन की रिहाई से वह विपक्षी दलों के निशाने पर तो हैं ही, साथ ही जिस महागठबंधन के सहारे वह सीएम की कुर्सी पर काबिज हैं, उसमें भी यह मामला विवादित हुआ जा रहा है. ताजा मामला भाकपा माले से जुड़ा हुआ है, जिसने 6 टाडा बंदियों को रिहा किए जाने की मांग उठाई है. इसके साथ ही उन्होंने नीतीश सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है. भाकपा माले 28 अप्रैल को पटना में इस मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करेगी.
राज्य सरकार ने बदले हैं कारा नियम राज्य सरकार ने इसी साल 10 अप्रैल को जेल नियमावली में एक संशोधन किया और उस खंड को हटा दिया, जिसमें अच्छा व्यवहार होने के बावजूद सरकारी अफसरों के कातिलों को रिहाई देने पर रोक थी. राज्य गृह विभाग ने बिहार जेल नियमावली, 2012 के नियम 481 (1) ए में संशोधन की जानकारी एक नोटिफिकेशन जारी करके दी थी. आरोप है कि राज्य सरकार ने ये बदलाव किया ही इसलिए है ताकि कुख्यात आनंद मोहन की रिहाई हो सके. क्योंकि इससे पहले तक सरकारी अफसरों के कत्ल के दोषियों को रिहा नहीं किया जा सकता था.
भाकपा माले ने मांग की तेज, पटना में देंगे धरना इस मामले के सामने आने के बाद से ही भाकपा माले 6 टाडा बंदियों की रिहाई की मांग तेज कर दी है. हालांकि भाकपा माले की ये मांग काफी पुरानी है. बात सिर्फ, आनंद मोहन की नहीं है, इस संशोधन से डीएम के कत्ल के दोषी मोहन के अलावा 26 और बंदियों को रिहा किया गया है. दोषियों की रिहाई की ये बड़ी संख्या ही सीएम नीतीश के गले की फांस बन सकती है, क्योंकि विरोधियों को तो वह चुप कराने के लिए कोई पैंतरा इस्तेमाल भी कर लें, लेकिन क्या अपने ही सहयोगी दल का मुंह बंद रखने के लिए उनकी मांग मानी जाएगी? अगर ऐसा होता है तो निकट भविष्य में 6 टाडा बंदियों की रिहाई की भी खबरें सुर्खियां बन सकती हैं, लेकिन ये सब आनंद मोहन की रिहाई की आड़ में ही किया जाएगा.
गिरिराज सिंह ने की रिहाई पर टिप्पणी गिरीराज सिंह ने इस रिहाई पर तंज कसते हुए मंगलवार को आनंद मोहन को बेचारा कह दिया. उन्होंने कहा कि, 'आनंद मोहन बेचारे काफी समय तक जेल में रहे, वह तो बलि के बकरे बन गए थे, आनंद मोहन की रिहाई हुई तो कोई बड़ी बात नहीं है, उनकी आड़ में जितने लोगों को छोड़ा गया है वह समाज पूछ रहा है. उसे समाज कभी नहीं माफ करेगा.' विपक्षी एकता मुहिम पर निकले नीतीश कुमार को गिरिराज सिंह ने कहा, मुंगेरीलाल के हसीन सपने को देखने के लिए किसी को मना ही नहीं है. यहां साफ जाहिर हो रहा है कि गिरिराज सिंह भी सीधे आनंद मोहन की रिहाई पर कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन इसके अलावा जो अन्य लोगों को छोड़ा गया है, उस पर सवाल उठाने से भी नहीं चूक रहे हैं.
इसलिए उठ रहा, 6 टाडा बंदियों की रिहाई का मुद्दा भाकपा माले, पहले से ही टाडा बंदियों की रिहाई की मांग का झंडा बुलंद किए हुए है. इसके लिए कई बार अनशन आदि भी हो चुके हैं. माले ने नीतीश सरकार से पूछा है कि अरवल को भदासी कांड के टाडाबंदियों की रिहाई पर सरकार चुप क्यों है? माले ने आरोप लगाया कि 14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके बंदियों की रिहाई के मामले में सरकार का रवैया भेदभावपूर्ण है. इसलिए यह मांग की गयी है कि टाडा के तहत गलत तरीके से फंसाए गए भदासी कांड के शेष बचे बंदियों को भी जल्द रिहा किया जाए. दल का कहना है कि शेष बचे 6 टाडा बंदी दलित-अतिपिछड़े-पिछड़े समुदाय के है जो गंभीर रूप से बीमार हैं और सभी के सभी बूढ़े हो चुके हैं. पार्टी का कहना है कि सभी ने कुल मिलाकर 22 साल की सजा काट ली है. इसलिए उन्हें रिहा किया जाना चाहिए.

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