
आजतक धर्म संसद: 'जब प्रार्थना से बात न बने तो हथियार उठा लेना चाहिए', पहलगाम हमले पर बोले महंत केशव गिरि
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आजतक धर्म संसद में रूद्रनाथ मंदिर चमोली के पुजारी हरीश भट्ट ने कहा, 'हमें पहले ये तय करना होगा कि तीर्थयात्रियों को बुला रहे हैं या पर्यटकों को. सरकार को यह निश्चित कर लेना चाहिए कि हम चाहते क्या हैं, तीर्थयात्रा या पर्यटन. तो रावल ज्योति प्रसाद उनियाल ने कहा कि हमारे संत-महात्मा, ऋषि-मुनि और सनातन धर्म से संबंध रखने वाले लोगों को जागना होगा. हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा.
आजतक की धर्म संसद के 'महिमा चार धाम की' सत्र में यमुनोत्री धाम के रावल ज्योति प्रसाद उनियाल, रूद्रनाथ मंदिर चमोली के पुजारी हरीश भट्ट, यमुना घाटी हिंदू जागृति संगठन के प्रमुख केशव गिरि जी महाराज और केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित पवन शुक्ला ने शिरकत की.
रावल ज्योति प्रसाद उनियाल ने कहा कि हमारे संत-महात्मा, ऋषि-मुनि और सनातन धर्म से संबंध रखने वाले लोगों को जागना होगा. हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा. रील के क्रेज को लेकर सवाल पर रावल ज्योति ने कहा कि ब्रह्मा जी ने 10 पुत्रों को जन्म दिया लेकिन सृष्टि में आने के लिए तैयार नहीं हुए. मरीचि हरिद्वार में तपस्या कर रहे थे. ब्रह्मा ने भगवान विष्णु से माया ली और मरीचि माया के वशीभूत हो गए और वहीं से फिर सृष्टि चली.
पृथ्वी के 10 टुकड़ों के बराबर है हिमालय
उन्होंने कहा कि 70 फीसदी जल भाग है, 30 फीसदी हिस्सा पृथ्वी है. पृथ्वी के 10 टुकड़ों के बराबर हिमालय है. यह पांच भाग में बंटा हुआ है और यह भी रहस्य है. पांच प्रकार की प्रजाति यहां निवास करती है. प्योर उत्तराखंड में 33 प्रकार के देवता निवास करते हैं. गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच से लेकर प्रयाग तक मुक्ति स्थान कहा गया है. इसके बीच के लोग निश्चित रूप से मुक्ति को प्राप्त करेंगे. रावल ज्योति ने पहलगाम हमले को लेकर कहा कि हम दोराहे पर खड़े हैं. हमने राजनीति में धर्म को उलझा दिया है. राजनीति तर्क का विषय है, धर्म आस्था का. आस्था पर राजनीति हावी नहीं होना चाहिए. धर्म पर राजनीति हावी होगी तो वह विकृत हो जाएगा. आज वह हो रहा है. अंग्रेजों का शासन आया तो उन्होंने हमारी शिक्षा पद्धति को बदल दिया. एक शरीर में राक्षस प्रवृत्ति के लोग निवास करते हैं और स्वार्थ में इतने अंधे हो गए कि सांप बिच्छू को मिठाई मान बैठे हैं. हम धर्म का आचरण करते थे.
'जिसने धर्म को समझ लिया, उसने ईश्वर...'
महंत केशव गिरि जी महाराज ने कहा कि धर्म के लिए लड़ना सभी चाहते हैं, लेकिन समझना कोई नहीं चाहता. जहां धर्म को समझने और स्वीकार करने की बात है, हम उससे पीछा छुड़ाने लगते हैं, भागने लगते हैं. जिसने धर्म को समझ लिया, उसने ईश्वर को समझ लिया. उन्होंने कहा कि धर्म से जुड़े रहते हैं तो पग-पग पर वह हमारी रक्षा करता है. धर्म को समझने के लिए हमें धार्मिक होना होता है. आसुरी और दैवीय प्रवृत्ति में जो संग्राम चल रहा है, इनको धर्म को समझना ही नहीं है तो धर्म कहां से इनके लिए खड़ा होगा. जो धर्म का ईश है, उसके लिए हमारा समर्पण ही नहीं है. जब उसके लिए निष्ठा नहीं होगी तो कहां से मानवों के लिए मानवीयता प्रकट होगी. उन्होंने कहा कि धर्म और विज्ञान साथी हैं, दुश्मन नहीं. ईश्वर हैं, ये धर्म है. वह जब अवतार ले लेते हैं, तो वह विज्ञान का विषय है. विज्ञान हमें उससे मिलाने का काम करता है. ये एक-दूसरे का ही पहलू है.

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