
असम में NRC का इम्प्लीमेंटेशन क्यों नहीं कर पाई सरकार? : आज का दिन, 30 दिसंबर
AajTak
असम में क्यों NRC ज़मीन पर नहीं उतर सकी, भारत जोड़ो यात्रा में अखिलेश यादव ने शामिल होने से क्यों मना किया और क्या पोस्ट कोविड लक्षणों से ज़्यादा परेशान नहीं होना चाहिए? सुनिए 'आज का दिन' में.
साल 2014 से 2019 के बीच में असम में एनआरसी की प्रक्रिया चली थी. सुप्रीम कोर्ट ने उसे मॉनिटर किया. फाइनल एनआरसी की लिस्ट जब आई तो उन्नीस लाख लोग ऐसे थे जो खुद को असम का नागरिक साबित नहीं कर सके. अब उन पर करवाई होनी थी, उन्हें वोटिंग समेत कई अधिकार नहीं मिलते. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.अब पिछले हफ्ते कैग की रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि एनआरसी की प्रक्रिया के दौरान काफी धांधलियां आई हैं. और सवालों के घेरे में हैं असम एनआरसी कोर्डिनेटर आईएएस प्रतीक हजेला भी. मुख्यमंत्री हेमन्त बिस्वा सरमा ने ख़ुद भी प्रतीक को कटघरे में खड़ा किया. अब इन विवादों के बाद ये साफ है कि असम में एनआरसी जिसको लेकर देश भर में बयानबाजी हुई, तमाम दावे हुए, वो ज़मीनी तौर पर मरी हुई नज़र आ रही है.
क्या कारण रहे हैं मेजरली इसके कि सरकार ने जिसका इतना ढिंढोरा पीटा वो ज़मीन पर नहीं उतर सका? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
--------------------------------- सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज – कल बदले बदले से नजर आ रहें है . अक्सर उनपर एक आरोप लगता है कि वो अपने नेताओं से मिलते नहीं है . लेकिन उपचुनाव के बाद वो इस धारणा को तोडते दिख रहें है . इसकी पहली तस्वीर कुछ दिन पहले देखने को मिली जब चाचा शिवपाल और उनके बीच जमा बर्फ पिघलनी शुरु हुई थी. इसी तरह उन्होने पिछले कुछ दिनों में कई जेल पहुच कर अलग अलग नेताओं से मुलाकात की. सबसे पहले वो झांसी जेल गऐ थे , जहां उन्होने पुर्व विधायक दीप नरायण सिंह से मुलाकात की थी . इसी तरह कानपुर जेल में इरफान सोलंकी से मुलाकात हुई , रामाकांत यादव से रामपुर जेल में मुलाकात हुई . मैनपुरी उपचुनाव में जीत के बाद उन्होंने विधानसभा के कर्यकर्ताओं से मुलाकात भी की थी . अब क्या इसे अखिलेश यादव की बदली रणनीति के तौर पर देखना चाहिए, और अगर हाँ तो इसके पीछे के कारण क्या हैं? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
------------------------ दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना फिर पांव पसार रहा है. भारत ने भी किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयारियां तेज़ कर दी है. लेकिन बीते तीन सालों में कोरोना की लहर के साथ साथ एक डर और बना हुआ है. वो है लांग कोविड या पोस्ट कोविड का डर. एक बार कोरोना हो जाने के बाद किस तरह की परेशानी और खतरे हो सकते हैं, इस पर तमाम बात होती है. कुछ लोग ये कहते हैं कि इस डर को फ़िज़ूल ही हवा दी गई. कुछ कहते हैं कि नहीं कोविड से ठीक हो जाने के बाद भी शरीर मे कुछ दिक्कतें बनी ही रहती हैं. इसी को लेकर यूके और यूएस की दो रिपोर्ट्स आई हैं. कहा गया है कि पोस्ट कोविड के खतरों को फ़िज़ूल ही विस्तार दिया जा रहा है. जबकि ये समस्याएं कोविड के बग़ैर भी हो सकती हैं. किस तरह ये रिसर्च इस निष्कर्ष तक पहुंची और क्या वाकई ये सही बात है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुक्रवार को अपने एक साल का सफर तय कर लिया है. संयोग से इस समय महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, जिसे लेकर त्रिमूर्ति गठबंधन के तीनों प्रमुखों के बीच सियासी टसल जारी है. ऐसे में सबसे ज्यादा चुनौती एकनाथ शिंदे के साथ उन्हें बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से भी अपने नेताओं को बचाए रखने की है.

नो-फ्रिल्स, जीरो कर्ज, एक ही तरह के जहाज के साथ इंडिगो आज भी खड़ी है. लेकिन नए FDTL नियमों और बढ़ते खर्च से उसकी पुरानी ताकत पर सवाल उठ रहे हैं. एयर इंडिया को टाटा ने नया जीवन दिया है, लेकिन अभी लंबी दौड़ बाकी है. स्पाइसजेट लंगड़ाती चल रही है. अकासा नया दांव लगा रही है. इसलिए भारत का आसमान जितना चमकदार दिखता है, एयरलाइन कंपनियों के लिए उतना ही खतरनाक साबित होता है.

राष्ट्रपति पुतिन ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान उनकी गरिमामय उपस्थिति के साथ राष्ट्रपति भवन में उनका औपचारिक स्वागत किया गया और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया. यह मुलाकात दो देशों के बीच रिश्तों की मजबूती को दर्शाने वाली थी. पुतिन ने महात्मा गांधी के आदर्शों का सम्मान करते हुए भारत की संस्कृति और इतिहास को सराहा. इस अवसर पर राजघाट की शांतिपूर्ण और पावन वायु ने सभी को प्रेरित किया.










