
अमेरिकी चेतावनी के बाद रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा भारत? UAE ने भी दिया झटका
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रूस पर लागू आर्थिक प्रतिबंध के बावजूद भारत भारी मात्रा में रूसी तेल आयात कर रहा है. लगातार पिछले छह महीनों से रूस भारत के लिए नंबर 1 तेल सप्लायर है. क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ने के बाद भारत भी प्राइस कैप से ऊपर भुगतान कर रहा है. लेकिन अमेरिका ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सभी कंपनियां सुनिश्चित करें कि रूसी तेल का निर्यात प्राइस कैप के भीतर ही हो.
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही भारत रूस से भारी मात्रा में रियायती कीमतों पर कच्चा तेल खरीद रहा है. लेकिन अमेरिकी चेतावनी और यूएई के अपनी करेंसी दिरहम के इस्तेमाल की मनाही के बाद ऐसा लग रहा है कि दोनों देशों के बीच तेल व्यापार अंत की ओर है. रूस से तेल खरीदना भारत के लिए धीरे-धीरे ही सही लेकिन मुश्किलें खड़ी कर रहा है. पिछले सप्ताह अमेरिका की चेतावनी के बाद से भारत सरकार इस समस्या का हल खोज रही है.
भारत के लिए यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पिछले सप्ताह ही अमेरिका ने चेतावनी देते हुए कहा था कि हम इस बात से अवगत हैं कि कुछ रूसी तेल प्राइस कैप से ऊपर निर्यात किया गया है. सभी कंपनियां सुनिश्चित करें कि रूसी तेल का निर्यात प्राइस कैप के भीतर ही हो. यानी रूसी तेल 60 डॉलर प्रति बैरल या उससे कम कीमत पर खरीदा जाए.
दरअसल, हाल ही में रूस और तेल उत्पादक देशों के संघ ओपेक प्लस ने तेल उत्पादन में प्रतिदिन लगभग 36 लाख बैरल की कटौती की घोषणा की है. इस घोषणा के बाद से ही तेल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. ओपेक प्लस के इस कदम के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ गई है. ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ने का असर यह हुआ है कि रूसी तेल की कीमत में भी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. इंडस्ट्री से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि भारत भी रूसी तेल का भुगतान निर्धारित प्राइस कैप से ऊपर कर रहा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका की चेतावनी ने भारतीय रिफाइनरी कंपनियां को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वो रूसी तेल खरीदने से पहले इसके परिणाम पर विचार करें. वहीं, इंडियन पॉलिसीमेकर के लिए भी इसका संज्ञान लेना जरूरी हो गया है, ताकि प्राइस कैप के उल्लंघन के बाद होने वाले व्यापक असर से पहले इस समस्या का समाधान निकाला जाए. क्योंकि यूएई ने भी अपनी मुद्रा दिरहम को प्राइस कैप से ऊपर खरीदे जा रहे तेल के भुगतान में इस्तेमाल करने से भारत को मना कर दिया है.
निर्यात पर लगा सकता है रोक
अमेरिकी समेत कई पश्चिमी देश दिसंबर 2022 से रूसी तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की प्राइस कैप लगाए हुए हैं. यानी 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर तेल आयात पर उस तेल के लिए कंपनियों को शिपिंग, बैंकिग, बीमा और वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी.

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